यूपी बजट 2020 : भाकियू ने कहा, गन्‍ना मूल्‍य पर किसानों को किया गया गुमराह Muzaffarnagar News

प्रदेश सरकार द्वारा पेश किए गए के बजट को लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के लिए 600 करोड़ का बजट नाकाफी है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 01:57 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 05:04 PM (IST)
यूपी बजट 2020 : भाकियू ने कहा, गन्‍ना मूल्‍य पर किसानों को किया गया गुमराह  Muzaffarnagar News
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मुजफ्फरनगर, जेएनएन। प्रदेश सरकार द्वारा मंगलवार को पेश किए गए के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों के लिए 600 करोड़ का बजट नाकाफी है। उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या किसानों की है। गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। 325 रुपये प्रति क्विंटल तो पहले से ही लिया जा रहा है। सरकार को चाहिए था कि वह किसानों की फसल खरीदने की नीति तैयार करती। गन्ना, आलू के साथ अन्य फसलों के भी दाम बढ़ाने जरूरी हैं।

बजट की मॉनिटरिंग होनी चाहिए

उन्होंने कहा कि प्रदेश स्तर से जो भी बजट जारी होता है वह पूर्ण रूप से योजना में नहीं लगता है। बजट का काफी हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है। इसी के चलते ग्रामीणों अंचलों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है। ऐसे में सरकार को बजट की मॉनिटरिंग होनी चाहिए, ताकि पात्रों को लाभ और धरातल में काम हो सकेगा।

केजरीवाल सरकार की तरह हो काम

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि बजट का पूरा इस्तेमाल और धरातल पर काम कैसे होता है, यह दिल्ली सरकार ने दिखाया है। उत्तर प्रदेश सरकार को भी दिल्ली में केजरीवाल सरकार की तरह काम करना चाहिए। प्रदेश के किसानों को योजनाओं का उचित लाभ मिलना चाहिए।  

नरेश टिकैत बोले, गन्ना मूल्य पर किया गुमराह

वहीं बजट को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने  नकार दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का बजट नए थैले में पुराना सामान है। सरकार ने पिछले गन्ने के रेट को नया तोहफा बताकर गुमराह किया है। सरकार के पास किसानों के लिए योजना नही है।किसानों के लिए सरकार को कम से कम बजट का तीस फीसद हिस्सा देना चाहिए था। प्रदेश में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है 

किसानों के लिए कोई ठोस योजना नहीं 

सरकार के किसान हितेषी होने का दिखावा करती है, लेकिन असल में हर मसले पर किसानों को सताया और दबाया जा रहा है। बजट में किसान के लिए कोई मजबूत रूप से न तो कोई योजना रखी गई है और ना ही उसके गन्ना मूल्य, फसलों के दाम पर गंभीरता से विचार किया गया। बजट पूरी तरह से खेती किसानी को निराश करने वाला है। सरकार को विकास ही करना है तो सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रो में पुल व सड़क का अधिक बजट देना चाहिए। खेती किसानी के बाद गांव ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उनका विकास करने पर ही देश -प्रदेश तरक्की कर सकता है।

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