गीले मैदान में ट्रैक्टर-ट्राली का सहारा, चटख धूप में डटी रही भीड़
किसान-मजदूर महापंचायत से एक दिन पहले रात में हुई बारिश ने राजकीय मैदान को पूरी तरह गीला कर दिया। रविवार सुबह महापंचायत में भाग लेने को मैदान में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई तो वहां जमीन पर बैठने की समस्या खड़ी हो गई।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। किसान-मजदूर महापंचायत से एक दिन पहले रात में हुई बारिश ने राजकीय मैदान को पूरी तरह गीला कर दिया। रविवार सुबह महापंचायत में भाग लेने को मैदान में किसानों की भीड़ जुटनी शुरू हुई तो वहां जमीन पर बैठने की समस्या खड़ी हो गई। ऐसे में किसानों और मजदूरों ने मंच के आगे बने डी क्षेत्र के पीछे ट्रैक्टरों को लगा दिया, जिनके ऊपर बैठकर चटख धूप में किसानों ने महापंचायत में आध्यात्मिक किसान नेता चंद्रमोहन सहित अन्य वक्ताओं को सुना।
रविवार को हिद मजदूर-किसान समिति के आह्वान पर जीआइसी मैदान में किसानों और मजदूरों की महापंचायत हुई। इसमें बड़ी संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्राली के साथ भाग लिया। महापंचायत में जिले सहित आसपास के जिलों के गांव से लोग पहुंचे, जिसमें पुरुषों के साथ महिलाएं भी शामिल रहीं। बड़ी संख्या में पहुंची भीड़ के सामने बारिश से दलदल बने मैदान में बैठने की परेशानी खड़ी हो गई, हालांकि कुछ स्थानों पर महापंचायत के आयोजकों ने मिट्टी डालकर जमीन को बैठने लायक बनाकर उसके पर मैट डाल दिए। इस समस्या का हल निकालते हुए किसानों ने अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों को मैदान में प्रवेश कराकर मंच के आगे बने डी क्षेत्र के पीछे खड़े कर दिए। व्यवस्थित ढंग से मैदान में लगाए गए 100 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियों को खड़ा कर बैठने की व्यवस्था हो गई। किसान अपने लोगों के साथ ट्रैक्टर और ट्राली पर अंत तक बैठे रहे। महिलाओं ने ट्राली के ऊपर बैठकर वक्ताओं को सुना। मंच पर आध्यात्मिक किसान नेता चंद्रमोहन के आने के बाद महिलाओं और पुरुषों ने ट्राली पर खड़े होकर उनके विचारों को सुनकर नारे लगाए।
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चटख धूप से बचने का सहारा भी बने ट्रैक्टर-ट्राली
किसानों की ट्रैक्टर-ट्राली मैदान में धूप से बचने का सहारा भी बनी रही। सुबह से मैदान में पहुंची भीड़ दोपहर तीन बजे तक महापंचायत में जमा रही। खुले मैदान में भीड़ जमा रही। इससे दोपहर में चटख धूप ने पसीने भी छुड़ाए। इस बीच धूप से बचने के लिए महिलाएं और बच्चों ने ट्राली के नीचे बैठकर धूप से बचने का प्रयास किया। मैदान में खड़ी की गई ट्रालियां किसानों के लिए चटख धूप से बचने का सहारा भी बनीं।