उत्तराखंड व पंजाब से होती है मौत के सामान की तस्करी

जिले में चल रहे जीरो ड्रग्स अभियान के तहत नशे के सौदागरों पर पुलिस तमाम सख्ती करते हुए सींखचों के पीछे भेज रही है लेकिन फिर भी वह चोरी-छिपे मौत का सामान जिले में लाकर युवाओं की नसों में जहर घोल रहे हैं। जिले में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और पंजाब से नशीले पदार्थो की तस्करी की जा रही है। जिले में सबसे ज्यादा तस्करी गांजा और डोडा पोस्त की हो रही है। बीते दो साल में पुलिस ने डोडा और गांजा तस्करों को दबोचकर भारी मात्रा में बरामदगी की है। इसके अलावा नेपाल से आने वाली नशे की खेप बाराबंकी और बरेली के रास्ते जिले समेत आसपास के जिलों में पहुंचती है। इसके अलावा तस्कर चरस और स्मैक के साथ जिले में नशीली गोली भी सप्लाई कर रहे हैं। नशा तस्करों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस ने सबसे ज्यादा नशीली गोलियां और इंजेक्शन बरामद किए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 07:36 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:36 PM (IST)
उत्तराखंड व पंजाब से होती है मौत के सामान की तस्करी
उत्तराखंड व पंजाब से होती है मौत के सामान की तस्करी

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जिले में चल रहे जीरो ड्रग्स अभियान के तहत नशे के सौदागरों पर पुलिस तमाम सख्ती करते हुए सींखचों के पीछे भेज रही है, लेकिन फिर भी वह चोरी-छिपे मौत का सामान जिले में लाकर युवाओं की नसों में जहर घोल रहे हैं। जिले में पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और पंजाब से नशीले पदार्थो की तस्करी की जा रही है। जिले में सबसे ज्यादा तस्करी गांजा और डोडा पोस्त की हो रही है। बीते दो साल में पुलिस ने डोडा और गांजा तस्करों को दबोचकर भारी मात्रा में बरामदगी की है। इसके अलावा नेपाल से आने वाली नशे की खेप बाराबंकी और बरेली के रास्ते जिले समेत आसपास के जिलों में पहुंचती है। इसके अलावा तस्कर चरस और स्मैक के साथ जिले में नशीली गोली भी सप्लाई कर रहे हैं। नशा तस्करों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस ने सबसे ज्यादा नशीली गोलियां और इंजेक्शन बरामद किए हैं। होटल और ढाबों से होती है सप्लाई

जिले में पड़ोसी राज्य से आने वाले डोडा पोस्त और गांजा को तस्कर हाईवे किनारे बने होटल और ढाबों से सप्लाई करते हैं। कुछ माह पूर्व शहर कोतवाली पुलिस ने शामली रोड स्थित एक ढाबे पर छापेमारी कर भारी मात्रा में डोडा पोस्त बरामद किया था। इसके अलावा सहारनपुर स्टेट हाईवे पर भी एक ढाबे पर छापेमारी कर नशीला पदार्थ बरामद किया गया था। पुलिस समय-समय पर इन ढाबों पर छापेमारी करती रहती है। पुलिस कार्रवाई से बच निकलते हैं माफिया

दूसरे जिलों और राज्य से नशीले पदार्थ मंगाने वाले माफिया अक्सर पुलिस कार्रवाई से बच निकलते हैं। कारण पुलिस के पास इनका न तो रिकार्ड होता है और न ही पता। इतना ही नहीं पुलिस नशीले पदार्थ की तस्करी करने वाले को तो दबोच लेती है, लेकिन माफिया तक नहीं पहुंच पाती। कई बार ऐसा हुआ है कि तस्कर पकड़ा गया, लेकिन पूछताछ में वह माफिया का नाम नहीं बता सका। पुलिस के साथ समाज को भी होना होगा जागरूक

पुलिस युवाओं की नसों में जहर घोलने वाले मौत के सौदागरों के खिलाफ अभियान चलाती है। समय-समय पर पुलिस छापेमारी और चेकिग में चरस, स्मैक, डोडा पोस्त, गांजा और नशे की गोलियों के साथ तस्करों को दबोचकर जेल भेजती है। पुलिस के साथ समाज को भी जागरूक होना होगा। सामाजिक संस्था अभियान चलाकर नशे से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में लोगों को बताएं, ताकि लोग नशा करने से परहेज करें। इसक अलावा अभिभावकों को भी बच्चों पर नजर रखनी चाहिए। समय- समय पर उनकी काउंसलिग कर नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताना चाहिए। जिला अस्पताल में पहुंचते हैं औसतन 15 मरीज

जिला अस्पताल के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला परामर्शदाता डा. अर्पण जैन का कहना है कि युवाओं का एक बड़ा वर्ग नशीले पदार्थो का सेवन कर जीवन गर्त में धकेल रहा है। लड़कों के साथ लड़कियां भी बड़ी संख्या में नशीले पदार्थो का सेवन कर रही हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में औसतन ऐसे 15 मरीज पहुंचते हैं जो नशा करते हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं। मेरठ और शाहदरा भेजे जाते हैं मरीज

जिले में नशा मुक्ति केंद्र न होने के कारण गंभीर मरीजों को मेरठ मेडिकल कालेज और शाहदरा के इहबास, गाजियाबाद स्थित एनडीडीटीसी सेंटर भेजा जाता है। इसके अलावा जिला अस्पताल की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों का नशा छुड़ाने के लिए जिला अस्पताल के मन: कक्ष में काउंसलिंग की जाती है और उसे नशीले पदार्थ छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। जिले में नहीं है नशा मुक्ति केंद्र

जिला असपता की ओपीडी में ही मरीज पहुंचते हैं वहीं महिला अस्पताल में मन: कक्ष में मरीजों की काउंसलिंग की जाती है। स्थिति गंभीर होने पर मुजफ्फरनगर के मरीज को मेरठ मेडिकल कालेज, शाहदरा के इहबास गाजियाबाद स्थित एनडीडीटीसी सेंटर भेजा जाता है। स्वास्थ्य पर पड़ता है प्रतिकूल प्रभाव, नहीं होती सही-गलत की पहचान

जिला अस्पताल के सीएमएस डा. पंकज अग्रवाल का कहना है कि नशा करने से लीवर, किडनी और फेफड़े पर असर पड़ता है। नशा छुड़ाने के लिए पीड़ित का दृढ़ निश्चयी होना जरूरी है। इसके बाद दवाई खिलाकर नशा छुड़ाया जाता है। नशा करने वाला व्यक्ति सही-गलत की पहचान नहीं कर सकता। इसके अलावा वाहन चलाते समय दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

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