संगीत में आवाज का जादू बिखेर ही जिले की प्रतिभाएं
संगीत न सरहदों में कैद होता है और न भाषा में बांधा जा सकता है। हर देश की भाषा पहनावा और खानपान भले ही अलग हो लेकिन संगीत में समानताएं हैं। युवाओं के लिए संगीत के क्षेत्र में काफी संभावनाएं पैदा हुई हैं। लोगों में जहां एक ओर डाक्टर इंजीनियर प्रोफेसर आदि बनने की ख्वाहिश रहती है वहीं आज बदले परिवेश में गायक वादक व नर्तक बनने की चाहत रखने वालों की भी तादाद बढ़ी है। जिले की अनेक प्रतिभाएं गीत रागिनी व भजनों के माध्यम से देश के विभिन्न शहरों में कला का प्रदर्शन कर रही हैं।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। संगीत न सरहदों में कैद होता है और न भाषा में बांधा जा सकता है। हर देश की भाषा, पहनावा और खानपान भले ही अलग हो, लेकिन संगीत में समानताएं हैं। युवाओं के लिए संगीत के क्षेत्र में काफी संभावनाएं पैदा हुई हैं। लोगों में जहां एक ओर डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि बनने की ख्वाहिश रहती है, वहीं आज बदले परिवेश में गायक, वादक व नर्तक बनने की चाहत रखने वालों की भी तादाद बढ़ी है। जिले की अनेक प्रतिभाएं, गीत, रागिनी व भजनों के माध्यम से देश के विभिन्न शहरों में कला का प्रदर्शन कर रही हैं।
चौरावाला गांव निवासी सरला देवी बीते करीब 15 वर्षो से मां शेरावाली व बाबा मोहनराम के भजनों के माध्यम से अपनी आवाज का जादू बिखेर रही हैं। उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान व यूपी के विभिन्न जिलों में अनेक कार्यक्रमों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है। चौरावाला गांव के ही महताब सिंह गुर्जर बताते हैं कि कक्षा छह में पढ़ते हुए स्कूल के कार्यक्रम में भाग लिया। उसके बाद मंच पर रागिनी की प्रस्तुति दी और फिर मुड़कर नहीं देखा। देवी मां के भजन प्रस्तुत करते हैं। रागिनी के अंतरराष्ट्रीय कलाकार स्वर्गीय सतपाल दोसा व कोशिदर के साथ भी मंच साझा किया है। जैन गर्ल्स डिग्री कालेज में बीकाम की फाइल छात्रा सना त्यागी क्लासिकल सिगर के रूप में पहचान बना चुकी हैं। जिले के अलावा दिल्ली, गाजियाबाद, चंडीगढ़ जैसे शहरों में अनेक कार्यक्रमों में अपनी सुरीली आवाज का जादू दिखा चुकी हैं। शहर के साकेत कालोनी मोहल्ला निवासी पुलकित राजवंशी बीते दस साल संगीत की दुनिया अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। टी-सीरिज के माध्यम से माहिया व सैंया समेत अनेक एलबम बना चुके हैं। इन दिनों मुंबई में अपनी आवाज का जलवा बिखेर रहे हैं। शहर के रामपुरी मोहल्ला निवासी दिग्विजय उर्फ नीशू सूफी की बचपन से ही संगीत में रुचि थी। बीए की पढ़ाई के साथ साथ तबला वादन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। करीब पांच वर्षो से सूफी संगीत में अपनी सुरीली आवाज का जादू बिखेर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से नुमाइश पंडाल में आयोजित म्यूजिक कार्यक्रम में प्रस्तुति देकर प्रथम स्थान प्राप्त किया।