साप्ताहिक बंदी में भी नहीं बदला भीड़ का मिजाज
साप्ताहिक बंदी में भी लोग बाज नहीं आ रहे। कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका है लेकिन लोगों के व्यवहार से शारीरिक दूरी के नियम गायब हैं। मास्क लगाने में भी लोग कोताही बरत रहे हैं। शनिवार के दिन जिला अस्पताल गेट पर ही भीड़ का ऐसा नजारा दिखा जिससे संक्रमण की गति बढने की आशंका बलवती हुई।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। साप्ताहिक बंदी में भी लोग बाज नहीं आ रहे। कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका है, लेकिन लोगों के व्यवहार से शारीरिक दूरी के नियम गायब हैं। मास्क लगाने में भी लोग कोताही बरत रहे हैं। शनिवार के दिन जिला अस्पताल गेट पर ही भीड़ का ऐसा नजारा दिखा जिससे संक्रमण की गति बढने की आशंका बलवती हुई।
संक्रमण की गति कम करने के लिए शासन स्तर से गाइडलाइन का पालन कराया जा रहा है। गाइडलाइन के अनुसार किसी भी आयोजन-प्रयोजन में भीड़ न जुटने देना। बाजार में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन। चेहरे पर मास्क लगाना तथा हाथों को बार-बार सेनीटाइज करना आवश्यक है। लेकिन लोगों में कोरोना के प्रति सावधानी और जागरूकता का अभाव देखने को मिल रहा है। शनिवार को साप्ताहिक बंदी के बावजूद शहर में लोगों का आवागमन बढता दिखा। शहर की कोई सड़क ही ऐसी रही हो कि जिस पर वाहन दोड़ते नजर न आए हों। जिला अस्पताल, प्रमुख सरकारी कार्यालय सहित धार्मिक स्थलों पर भी लोग कोरोना प्रोटोकोल को भूलते नजर आए। अस्पताल में भीड़ इतनी बढ़ी कि इमेरजेंसी गेट पर जाम लग गया। भीड़ संक्रमण की वाहक तो है, लेकिन जाम से मरीजों के समक्ष भी समस्या आ सकती है। लोगों को परिवर्तित करना होगा अपना व्यवहार
चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक यदि ह्युमन बिहेवियर में बदलाव नहीं किया तो उसके परिणाम घातक साबित हो सकते हैं। सीएमओ डा. एमएस फौजदार का कहना है कि लोगों को समझना होगा कि यह महामारी का समय है। सामान्य दिनों में भीड़ को हलके में लिया जा सकता है, लेकिन महामारी के दौर में भीड़ के मायने काफी नकारात्मक हैं। यदि लोग एक-दूसरे से उचित शारीरिक दूरी बनाकर नहीं रखते तो उसके घातक परिणाम आ सकते हैं। इसलिए शारीरिक दूरी बनाने के साथ मास्क लगाएं, बार-बार साबुन से हाथ धोएं।