मजबूरी से दरक रही रिश्तों की बुनियाद
शहर के श्मशान घाटों पर सुबह से शाम तक धधक रही चिताएं टूटती सांसों की गवाह बनी हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती मरीज को देखने से लेकर मौत के बाद अंतिम दर्शन को भी रिश्तेदार मजबूरी में दूरी बनाए हैं। मानवता के कारण मृतक के स्वजन ही खुद रिश्तेदारों को दूरी बनाकर बचने की सलाह दे रहे हैं।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर, तरुण पाल।
शहर के श्मशान घाटों पर सुबह से शाम तक धधक रही चिताएं टूटती सांसों की गवाह बनी हैं। कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती मरीज को देखने से लेकर मौत के बाद अंतिम दर्शन को भी रिश्तेदार मजबूरी में दूरी बनाए हैं। मानवता के कारण मृतक के स्वजन ही खुद रिश्तेदारों को दूरी बनाकर बचने की सलाह दे रहे हैं। हालात इतने विकट हैं कि श्मशान घाट पर कंधा देने के लिए भी लोगों को खोजना पड़ रहा है। कंधा देने वाले भी नहीं कर पाए अंतिम दर्शन
सिविल लाइन क्षेत्र के मोहल्ला जसंतपुरी निवासी सुरेश गुप्ता की कोरोना से मौत हो गई। कोरोना का नाम सुनकर दूर भागने वाले लोगों के बीच अंतिम यात्रा के लिए स्वजनों के नाम तय कर कंधा देकर अंतिम क्रिया पूरी की, लेकिन काली नदी श्मशान घाट पर जाकर सभी लोग उनके अंतिम दर्शन तक नहीं कर पाए। दो- तीन लोगों को ही घाट में प्रवेश देकर मुखाग्नि दिलाई गई। मौत के बाद घर के बाहर पसरा सन्नाटा
इंद्रा कालोनी निवासी कोरोना संक्रमित नरेंद्र अरोरा का घर पर ही उपचार चल रहा था। रविवार को उनकी मौत के बाद उनके घर के बाहर सन्नाटा पसरा रहा। बेटे और स्वजनों ने ही उनकी शमशान घाट तक की अंतिम यात्रा की प्रक्रिया पूरी की। रिश्तेदार और आसपास के लोग दुख बांटने उनके घर और श्मशान घाट तक भी नहीं पहुंच पाए। रुक नहीं रहा चिताएं जलने का क्रम
काली नदी श्मशान घाट, नई मंडी और जनकपुर श्मशान घाट पर अन्य बीमारी और कोरोना से होने वाली मौत के बाद चिताएं जलने का क्रम जारी है। एक श्मशान घाट में दिनभर में 10 से 15 चिताएं जल रही हैं। काली नदी श्मशान घाट के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि रविवार को 15 चिताएं जली हैं। नई मंडी श्मशान घाट में भी 12 से अधिक चिताएं जली हैं।