शिवधाम श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर, शुकतीर्थ

तीर्थनगरी शुकतीर्थ के शिव धाम स्थित श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर में बनी भगवान शिव की 101 फुट ऊंची विशाल मूर्ति श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में दूरदराज क्षेत्रों से श्रद्धालु आकर शिवजी की पिडी पर जल चढ़ाकर मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:36 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:36 PM (IST)
शिवधाम श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर, शुकतीर्थ
शिवधाम श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर, शुकतीर्थ

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। तीर्थनगरी शुकतीर्थ के शिव धाम स्थित श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर में बनी भगवान शिव की 101 फुट ऊंची विशाल मूर्ति श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनी हुई है। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में दूरदराज क्षेत्रों से श्रद्धालु आकर शिवजी की पिडी पर जल चढ़ाकर मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। इतिहास

प्रसिद्ध उद्योगपति प्रेमप्रकाश गर्ग ने 1992 में गंगा तट के किनारे शिवधाम चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख में शिवधाम की स्थापना करायी थी। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध कारीगर केशोराम शाहू ने भगवान की 101 फुट ऊंची मूर्ति का निर्माण किया। हरिद्वार के महामंडलेश्वर स्वामी प्रखरजी महाराज की प्रेरणा से प्रखर परोपकार ट्रस्ट मिशन ने शिवधाम में श्रीरत्नेश्वर शिव मंदिर का भव्य निर्माण किया। प्राण प्रतिष्ठा 15 अप्रैल, 2015 को संपन्न हुई। मंदिर में शिव परिवार- कार्तिकेय, मां पार्वती, गणेश व नंदी के साथ हनुमानजी की मूर्ति विराजमान हैं। विशेषता

मंदिर में मलेशिया से लाकर भव्य माणिक्य शिवलिग की स्थापना की गई। श्रावण मास में पूजा-अनुष्ठान कराने को श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मंदिर के गर्भगृह में पुरुष श्रद्धालु धोती व महिला श्रद्धालु साड़ी पहनकर ही जलाभिषेक व पूजा कर सकते हैं। तैयारी

प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में मंदिर की भव्य सजावट की जाती है। सुबह चार बजे से सायं छह बजे तक मंदिर का द्वार खुला रहता है। मंदिर में प्रतिदिन सफाई की जाती है। मूर्तियों को गंगा जल से स्नान कराकर भगवान शिव की पूजा होती है। श्रद्धालु मंदिर में विशेष पूजा भी कराते हैं।

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-मंदिर में नित्य आरती पूजा होती है। श्रावण मास के सोमवार व शिवरात्रि पर दूर दराज क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु भगवान शिव पर जलाभिषेक करते हैं उनके समस्त ग्रह अनुकूल हो जाते हैं।

- आचार्य ध्रुवदत्त शुक्ल, पुजारी

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- भक्ति भाव से जो भी श्रद्धालु मंदिर में आकर पूजा-अर्चना कर शिवलिग पर जल चढ़ाकर कुछ मांगते हैं उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

- प्रेमशंकर मिश्र, श्रद्धालु

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