कोरोना के साए को नजरबंद करती रहीं छाया
कोरोना काल में जहां लोग अपनों से घबरा रहे थे वहीं सिविल लाइन थाने में तैनात एक महिला कांस्टेबल बाहर से आने वाले संदिग्ध और संक्रमित लोगों की मदद के लिए पहले मोर्चे पर डटी हुई थी।
मुजफ्फरनगर, संदीप चौधरी। कोरोना काल में जहां लोग अपनों से घबरा रहे थे, वहीं सिविल लाइन थाने में तैनात एक महिला कांस्टेबल बाहर से आने वाले संदिग्ध और संक्रमित लोगों की मदद के लिए पहले मोर्चे पर डटी हुई थी। मजबूत इरादों से बाहर से आने वाले लोगों को न केवल रास्ता दिखाया बल्कि गंतव्य तक पहुंचने में उनकी मदद भी की। वहीं छाया ने संक्रमितों के बीच रहकर भी खुद को कोरोना के साए से बचाए रखा।
बीते साल लाकडाउन में पुलिस ने न केवल भूखों को खाना खिलाया बल्कि उन्हें उनके गंतव्य तक भी पहुंचाया। सिविल लाइन थाने में तैनात महिला कांस्टेबल छाया ने बखूबी अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हुए सराहनीय कार्य किया। कोरोना काल में छाया के ऊपर बाहर से आने वाले लोगों का ब्यौरा इकट्ठा करने की जिम्मेदारी रही। बाहर से आने वाले दर्जनों लोग कोरोना से संक्रमित भी मिले, जिन्हें कोविड हास्पिटल तक भिजवाया। लाकडाउन के दौरान दूसरे जिलों और राज्यों से आने वाले लोगों में घर जाने की होड़ लगी हुई थी। ऐसे में छाया ने रोडवेज बस स्टैंड पर तैनात रहकर बखूबी अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया और बाहर से आने वाले लोगों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया। छाया के सराहनीय कार्य के चलते एसएसपी अभिषेक यादव ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
तत्कालीन इंस्पेक्टर की टीम में रही शामिल
बीते साल लाकडाउन के दौरान डीके त्यागी सिविल लाइन इंस्पेक्टर थे। वर्तमान में डीके त्यागी जानसठ कोतवाल है। छाया तत्कालीन इंस्पेक्टर की टीम में शामिल रही और लोगों की मदद करती रही। सड़क किनारे रहने वाले बेसहारा लोगों को खाना खिलाना हो या फिर किसी के घर राशन पहुंचाना हो, छाया ने अपनी ड्यूटी को बखूबी अंजाम दिया।
खुद को बचाने की थी चुनौती
लाकडाउन में पुलिस के सामने संक्रमितों के बीच रहकर खुद को कोरोना से बचाने की चुनौती थी। इंस्पेक्टर अनिल कपरवान, इंस्पेक्टर योगेश शर्मा समेत दर्जन भर से ज्यादा पुलिसकर्मी संक्रमित हो गए थे। छाया बताती हैं कि संक्रमितों के बीच रहकर खुद को कोरोना से बचाने की बड़ी चुनौती थी। छाया का कहना है कि भविष्य में भी वह इस प्रकार की ड्यूटी करने के लिए तैयार है।