दिव्यांगों की सेवा शुभ कर्म : आचार्य गुरुदत्त

तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित अखिल भारतीय दिव्यांग एवं अनाथ आश्रम में आर्य समाज की ओर से आयोजित यज्ञ एवं सत्संग कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता वैदिक संस्कार चेतना अभियान के संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि सुखी जीवन के लिए पवित्र आत्मा से पुण्य कर्म कीजिये। असहाय जरूरतमंद निर्धन दिव्यांगों की सेवा शुभ कर्म है। गृहस्थ साम‌र्थ्य के अनुसार परोपकार की भावना से दान करें। महर्षि दयानंद ने समाजोत्थान के लिए जीवन की आहुति दी थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 11:55 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 11:55 PM (IST)
दिव्यांगों की सेवा शुभ कर्म : आचार्य गुरुदत्त
दिव्यांगों की सेवा शुभ कर्म : आचार्य गुरुदत्त

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। तीर्थनगरी शुकतीर्थ स्थित अखिल भारतीय दिव्यांग एवं अनाथ आश्रम में आर्य समाज की ओर से आयोजित यज्ञ एवं सत्संग कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता वैदिक संस्कार चेतना अभियान के संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि सुखी जीवन के लिए पवित्र आत्मा से पुण्य कर्म कीजिये। असहाय, जरूरतमंद, निर्धन, दिव्यांगों की सेवा शुभ कर्म है। गृहस्थ साम‌र्थ्य के अनुसार परोपकार की भावना से दान करें। महर्षि दयानंद ने समाजोत्थान के लिए जीवन की आहुति दी थी। कार्यक्रम में दिव्यांगों और अनाथ बच्चों की सेवा का संकल्प निभाने वाले नि:संतान दंपती वीरेंद्र राणा-मीना राणा को समाज को प्रेरणा देने पर आर्यजनों ने महर्षि दयानंद का चित्र एवं 11 हजार की सहयोग राशि भेंट की। कार्यक्रम में स्वामी सत्यवेश महाराज ने कहा कि अनुशासन, ईमानदारी और देशभक्ति के साथ समाज तथा राष्ट्र की सेवा कीजिए। इससे पूर्व हवन-यज्ञ में बच्चों एवं आर्यजनों ने वेद मंत्रोचारण के बीच आहुति दी गई। कार्यक्रम में आनंद पाल सिंह आर्य, आरपी शर्मा, गजेंद्र पाल सिंह राणा, मंगत सिंह आर्य, योगेश्वर दयाल, सोमपाल सिंह आर्य, राकेश ढीगरा व नरेंद्र मलिक आदि मौजूद रहे।

कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुन झूम उठे श्रद्धालु जेएनएन, मुजफ्फरनगर। त्यागी कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में श्री कृष्ण-रुक्मिणी विवाह प्रसंग सुन श्रोता झूम उठे।

रुड़की रोड त्यागी कालोनी में चल रही श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में पंडित सीताराम त्रिपाठी महाराज ने श्रद्धालुओं को धर्म की व्याख्या समझाया। उन्होंने रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि विवाह से पहले जो भी जांच करनी हो वर पक्ष की हो या वधू पक्ष की, वह पहले ही कर लेनी चाहिए। रिश्ता होने के बाद दोनों परिवारों में विवाह संबंधी फिर कोई भी विवाद वाली बातें नहीं होनी चाहिए। समधी शब्द की व्याख्या समझाते हुए कथा व्यास ने दोनों के संबंधों को समान बताया। आपस में कोई छोटा, बड़ा नहीं है। सभी का मान सम्मान बराबर है। वहीं कृष्ण-रुक्मिणी विवाह में सभी श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य कर आनंद उठाया। प्रवेश त्यागी, मनोज त्यागी, राजकुमार, अशोक भारद्वाज, हरिमोहन शर्मा, वीरेंद्र त्यागी, अरविद त्यागी, जियालाल त्यागी, राजेंद्र त्यागी, सीताराम वर्मा एडवोकेट व धर्म सिंह त्यागी आदि का सहयोग रहा।

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