वैज्ञानिक सोच से होगी अंधविश्वास पर करारी चोट

विज्ञान मानव के जीवन में गहरा प्रभाव डालता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने से प्रकृति के अनेक रहस्य को जाना जा सकता है। विज्ञान का प्रयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। इसके प्रयोग से अंधविश्वास का समूल नाश किया जा सकता है। 21वीं सदी में मानव दैनिक जीवन में विज्ञान को महत्व दे रहा है। शिक्षा के उजियारे से अंधविश्वास पर करारी चोट हो रही है। हालांकि अभी भी अंधविश्वासी लोगों की कमी नहीं है। अंधविश्वास को जड़ से खत्म करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार बेहद जरूरी है। प्राकृतिक विज्ञान के अलावा अन्य क्षेत्रों-सामाजिक और नैतिक मामलों में भी वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग होना चाहिए। वैज्ञानिक सोच मानव व्यवहार में परिवर्तन लाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 07:55 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 07:55 PM (IST)
वैज्ञानिक सोच से होगी अंधविश्वास पर करारी चोट
वैज्ञानिक सोच से होगी अंधविश्वास पर करारी चोट

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। विज्ञान मानव के जीवन में गहरा प्रभाव डालता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने से प्रकृति के अनेक रहस्य को जाना जा सकता है। विज्ञान का प्रयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए। इसके प्रयोग से अंधविश्वास का समूल नाश किया जा सकता है। 21वीं सदी में मानव दैनिक जीवन में विज्ञान को महत्व दे रहा है। शिक्षा के उजियारे से अंधविश्वास पर करारी चोट हो रही है। हालांकि अभी भी अंधविश्वासी लोगों की कमी नहीं है। अंधविश्वास को जड़ से खत्म करने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विस्तार बेहद जरूरी है। प्राकृतिक विज्ञान के अलावा अन्य क्षेत्रों-सामाजिक और नैतिक मामलों में भी वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग होना चाहिए। वैज्ञानिक सोच मानव व्यवहार में परिवर्तन लाती है। प्रकृति के अनेक रहस्यों का पता विज्ञान से ही संभव हो सका है। प्राकृतिक विज्ञान का अध्ययन करने से नहीं बल्कि वैज्ञानिक तरीकों को मानव व्यवहार में अमल करने से मजबूत होता है। विद्यार्थी देश के कर्णधार हैं, जिसके चलते उनमें वैज्ञानिक सोच का विकसित होना बेहद जरूरी है। इसके लिए पाठ्यक्रम में सामाजिक विज्ञान और मानविकी को शामिल करना जरूरी है। विज्ञान का अध्ययन और विस्तार अंधविश्वास को खत्म करता है। अनेक वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्होंने अपने प्रयोगों से अंधविश्वास को दूर करने का कार्य किया है। भारत में अंधविश्वास की जड़ें गहरी थीं, जिसे दूर करने में समय लगा है। अभी भी संपूर्ण भारत से अंधकार दूर नहीं हुआ है। समाज के सभी तबके को वैज्ञानिक दृष्टिकोण बढ़ाना होगा। 50 साल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के कारण जीवन व पर्यावरण में बड़े स्तर पर बदलाव हुए हैं, जिनके चलते अंधविश्वास पर करारी चोट हुई है। अब लोग ज्यादा अंधविश्वास के चक्कर में नहीं पड़ते हैं। कई पुरानी कहानी और हिस्से अंधविश्वास पर आधारित हुआ करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। लोगों में समझ पनप रही है। विज्ञान बाहरी दुनिया से संबंधित है और यह ज्ञान के साथ संपूर्ण विकास करता है। प्रत्येक क्रिया में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जिसे जानने और समझने के लिए विज्ञान की कला को जानना जरूरी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण किसी भी विषय में क्या, क्यों, कैसे जानने की उत्सुकता प्रदान करता है। देश के भविष्य के लिए मजबूत बुनियाद तैयार करने तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक विकास के लिए, विचार-विनिमय, प्रयोगों तथा मूलभूत विज्ञान की समझ के माध्यम से बच्चों में कम उम्र से ही विज्ञान के प्रति उत्सुकता और जुनून पैदा करना अनिवार्य है। वैज्ञानिक सोच और दुरुस्त करने की जरूरत है, ताकि विकसित देशों की कतार में भारत भी खड़ा हो सके। छात्रों के सर्वागीण विकास के लिए वैज्ञानिक सोच बेहद जरूरी है। वैज्ञानिक सोच विकसित करने की कोई उम्र या पड़ाव भी नहीं होता है। समाज में वैज्ञानिक सोच विकसित करने में शिक्षक और छात्र महती भूमिका निभा सकते हैं।

- राजेश कुमारी, वैदिक पुत्री पाठशाला इंटर कालेज-नई मंडी

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