प्रमोट होने से पहले विद्यार्थियों पर जाल फेंकने में लगे विद्यालय
कोरोना काल में निजी विद्यालयों की मनमानी से अभिभावक फिर परेशान दिखने लगे हैं। लाकडाउन में टूटे कामकाज के बाद भी स्कूलों की महंगी फीस भरकर बच्चों की आनलाइन शिक्षा को गति देने में अग्रसर रहकर अभिभावकों ने मजबूरी में कई परेशानियों को झेला था। अब फिर लाकडाउन के आसार देखकर अभिभावक चिता में डूबे हैं।
मुजफ्फरनगर, जागरण टीम। कोरोना काल में निजी विद्यालयों की मनमानी से अभिभावक फिर परेशान दिखने लगे हैं। लाकडाउन में टूटे कामकाज के बाद भी स्कूलों की महंगी फीस भरकर बच्चों की आनलाइन शिक्षा को गति देने में अग्रसर रहकर अभिभावकों ने मजबूरी में कई परेशानियों को झेला था। अब फिर लाकडाउन के आसार देखकर अभिभावक चिता में डूबे हैं। उधर 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित होने की सूचना के बाद कुछ निजी विद्यालयों ने 10वीं के छात्रों पर जाल फेंकना शुरू दिया है। 11वीं कक्षा में दाखिले के लिए अभिभावकों को निर्देश तैयार कर संदेश भेजे जाने लगे हैं।
कोरोना के दूसरे चरण में बढ़ते खतरे को देखते हुए मार्च में बंद किए गए विद्यालयों में बंदी का समय बढ़ाकर 15 मई तक कर दिया गया है। इसी बीच शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोरोना के कारण सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद करने की भी घोषणा हो गई। बोर्ड परीक्षाओं के रद होने की घोषणा से शत-प्रतिशत नंबर लाकर खुद को सबसे आगे रखने का सपना संजोने वाले 10वीं के विद्यार्थी और उनके अभिभावक मायूस हैं। इन बच्चों को बिना परीक्षा दिए ही 11वीं में प्रमोट करने की सूचना मिलने के तुरंत बाद ही स्कूल प्रबंधन भी सक्रिय हो गए हैं। एक दिन पूरा बीता भी नहीं कि अभिभावकों के मोबाइलों पर गुरुवार को बच्चों को 11वीं कक्षा के लिए पंजीकरण कराने को संदेश पहुंचने शुरू हो गए हैं। सुभाष नगर निवासी कुलदीप कुमार बताते हैं कि उनका बेटा 10वीं का छात्र है। उनका बेटा जिस स्कूल में पढ़ता है, वह 12वीं तक है। विद्यालय की तरफ से उन्हें संदेश दिया गया कि वह समय से अपने बच्चे का 11वीं कक्षा के लिए पंजीकरण कराकर सीट सुनिश्चित कर लें। इसके अलावा अन्य स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों की भी इसी प्रकार की समस्याएं हैं, जो स्कूलों की मनमानी के आगे 11वीं में बच्चों के पंजीकरण के साथ फीस जमा करने में असमर्थ रहेंगे। अभिभावकों का कहना है कि लाकडाउन की संभावना के चलते स्कूल अपनी कक्षाओं को पूरा कर फीस जमा करने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसकी परेशानी मध्यम वर्गीय अभिभावकों पर भारी पड़ने लगेगी।