सूलीवाला बाग में फांसी पर लटका दिये गए थे क्रांतिकारी
देश को आजाद कराने के लिए फिरंगी हुकूमत के खिलाफ 1857 में क्रांति का बिगुल बज गया था। इस क्रांति में नवयुवकों महिलाओं और बुजुर्गो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आजादी की आवाज दबाने को क्रांतिकारी वीर सपूतों को सरेआम पुरकाजी कस्बे के सूली वाला बाग पर फांसी दी जाती थी।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। देश को आजाद कराने के लिए फिरंगी हुकूमत के खिलाफ 1857 में क्रांति का बिगुल बज गया था। इस क्रांति में नवयुवकों, महिलाओं और बुजुर्गो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आजादी की आवाज दबाने को क्रांतिकारी वीर सपूतों को सरेआम पुरकाजी कस्बे के सूली वाला बाग पर फांसी दी जाती थी। क्रांतिकारियों और जनता में दहशत फैलाने के लिए अंग्रेज इस तरह के कृत्य को अंजाम देते थे। नगर पंचायत चेयरमैन जहीर फारूकी सूलीवाला बाग को शहीद स्थल घोषित कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जंग-ए-आजादी में 1857 की क्रांति के 161 साल बाद गाथाएं आज भी लोगों की जुबान पर हैं। बुजुर्गो के अनुसार अंग्रेज बाहर से क्रांतिकारियों को लाकर कस्बे के सूली वाला बाग पर फांसी पर लटकाया करते थे। कोई ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बोलता था या आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेता था, उसे कस्बे से बाहर स्थित सूली वाले बाग पर लटका दिया जाता था। कस्बा के सूलीवाला बाग में करीब 400 लोगों को फांसी दिए जाने की बात बताई जाती है। कोआपरेटिव सोसायटी के मनोनीत चेयरमैन रहे सरदार सुखपाल सिंह बेदी ने बताया कि बाग के बीच पेड़ों पर सालों पहले तक सूली लगी हुई थी, उनके बारे में बुजुर्ग बताते थे कि जिस समय सूली पर फांसी देने के लिए किसी को लटकाया जाता था, तब वहां किसी को फटकने तक नहीं दिया जाता था। उत्कृष्ठ कार्य के लिए संग्रह अमीन सम्मानित
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। बुढ़ाना तहसील के संग्रह अमीन को उत्कृष्ट कार्य करने के पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। तहसील में अमीन लक्ष्मण कुमार जनपद में सबसे अधिक वसूली करने वाले संग्रह अमीन बने। उनके इस उत्कृष्ट कार्य के लिए एडीएम आलोक कुमार ने उन्हें प्रमाण-पत्र प्रदान किया। उन्होंने प्रशंसा करते हुए अन्य तहसीलकर्मियों को भी इसी प्रकार मेहनत करने को कहा। इस दौरान स्टाफ मौजूद रहा।