सियासी चोला बदलने में माहिर रहे हैं कादिर
पूर्व सांसद कादिर राना ने रविवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली। 27 साल बाद वह फिर से सपा में शामिल हुए हैं। 32 साल के राजनीतिक करियर में सपा रालोद और बसपा में रहे। वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पूर्व सांसद कादिर राना ने रविवार को लखनऊ में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली। 27 साल बाद वह फिर से सपा में शामिल हुए हैं। 32 साल के राजनीतिक करियर में सपा, रालोद और बसपा में रहे। वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा पहुंचे।
पूर्व सांसद कादिर राना का सियासी सफर बड़ा उथल-पुथल भरा रहा है। 32 साल पहले उन्होंने नगरपालिका के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की थी। सभासद बनने के बाद उन्होंने सपा की सदस्यता ली। कभी मुलायम सिंह यादव के विश्वासपात्रों में उनकी गिनती होती थी। इसके बूते उन्हें सपा का जिलाध्यक्ष भी बनाया गया। वर्ष 1993 में सदर विधानसभा सीट से सपा ने प्रत्याशी बनाया, लेकिन भाजपा प्रत्याशी सुरेश संगल से हार गए। वर्ष 2004 में लोकसभा चुनाव की तैयारी की, लेकिन सपा ने टिकट नहीं मिला, जिससे आहत होकर उन्होंने रालोद का दामन थाम लिया। वर्ष 2007 में मोरना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए। इसके दो साल बाद ही रालोद छोड़कर बसपा में चले गए। बसपा प्रमुख मायावती ने उन्हें मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से 2009 में टिकट दिया। इस चुनाव में उन्होंने रालोद प्रत्याशी अनुराधा चौधरी को शिकस्त दी। इसके बाद वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह भाजपा प्रत्याशी डा. संजीव बालियान से भारी मतों से हारे। वर्ष 2013 में जनपद में हुए सांप्रदायिक दंगों से इनका नाम जुड़ा। शहीद चौक पर हुई मुस्लिम समाज की सभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। अब आगामी विधानसभा चुनाव को देखते कादिर राना ने फिर से राजनीतिक चोला बदला है। सपा में उनकी 27 साल बाद वापसी हुई है। सियासी हलकों में चर्चा है कि उनके परिवार के सदस्य भी जल्द सपा की सदस्यता लेंगे। बता दें कि वर्ष 2017 में कादिर राना की पत्नी सईदा बेगम ने बसपा से चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा प्रत्याशी उमेश मलिक से हार गई है।