कोविड हास्पिटल में कैप्सूल से आक्सीजन सप्लाई शुरू

आक्सीजन की मारामारी के बीच मेडिकल कालेज-बेगराजपुर में बनाए गए कोविड हास्पिटल में कैप्सूल से आक्सीजन सप्लाई शुरू की गई है। मेडिकल कालेज में एल-3 वर्ग के मरीजों के 90 बेड और बढ़ाए गए हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान मेडिकल कालेज के ट्रस्टी समेत चिकित्सक व लिडा कंपनी के अधिकारियों की मौजूदगी में आपूर्ति शुरू की गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 11:56 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 11:56 PM (IST)
कोविड हास्पिटल में कैप्सूल से आक्सीजन सप्लाई शुरू
कोविड हास्पिटल में कैप्सूल से आक्सीजन सप्लाई शुरू

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। आक्सीजन की मारामारी के बीच मेडिकल कालेज-बेगराजपुर में बनाए गए कोविड हास्पिटल में कैप्सूल से आक्सीजन सप्लाई शुरू की गई है। मेडिकल कालेज में एल-3 वर्ग के मरीजों के 90 बेड और बढ़ाए गए हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान, मेडिकल कालेज के ट्रस्टी समेत चिकित्सक व लिडा कंपनी के अधिकारियों की मौजूदगी में आपूर्ति शुरू की गई।

मेडिकल कालेज बेगराजपुर में अभी तक एल-3 वर्ग (कोरोना के गंभीर मरीज) के लिए केवल 120 बेड की व्यवस्था थी, जिसे बढ़ाकर 210 कर दिया गया है। रविवार को 90 नए बेड पर आक्सीजन की सप्लाई और शुरू की गई। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान और उद्यमी और कालेज के ट्रस्टी गौरव स्वरूप ने कैप्सूल से आक्सीजन का शुभारंभ किया। एडीएम प्रशासन अमित सिंह, लिडा कंपनी के जीएम सुरेंद्र सिंह, टेक्नीकल एडवाइजर राकेश कुमार, मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. एमएन मनचंदा, सीएमएस डा. कीर्ति गोस्वामी की देखरेख में आक्सीजन कोविड हास्पिटल के बेड तक पहुंची। बीते दिनों ही इसका सफल ट्रायल किया गया था। 20 मीट्रिक टन वाले आक्सीजन कैप्सूल से प्रतिदिन सात टन आक्सीजन की सप्लाई की जाएगी।

जिले में लिक्विड गैस का पहला प्रयोग

जिले में आक्सीजन की आपूर्ति का मुख्य स्त्रोत अभी तक एयर आक्सीजन था। मेडिकल कालेज में प्रतिदिन करीब 400 सिलेंडर की खपत होती है। इससे जिले में आक्सीजन की किल्लत चल रही है। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. बालियान के प्रयास और लिडा कंपनी के सहयोग से जो कैप्सूल स्थापित किया गया है, उससे लिक्विड आक्सीजन की आपूर्ति होगी। आक्सीजन की व्यवस्था देहरादून समेत उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर स्थित आक्सीजन प्लांट से की जाएगी। डा. संजीव बालियान ने बताया कि वैसे तो कैप्सूल तैयार कराने में तीन से चार माह का समय लगता है, लेकिन उत्तराखंड की एक औद्योगिक इकाई बंद हो गई थी और बैंक ने वहां ताला डाल दिया था। उसी फैक्ट्री में यह कैप्सूल था। पता चलने पर इसे मेडिकल कालेज में स्थापित कराया गया है। अब जो 400 सिलेंडर मेडिकल कालेज में जाते थे, वह अन्य अस्पताल या होम आइसोलेट मरीजों को मिल सकेंगे।

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