अब बोर्ड कक्षा में भी बदलिए अपना बोर्ड व विद्यालय
कोरोना से टूटते कामकाज से परेशान चल रहे अभिभावकों को बच्चों की महंगी फीस जमा करने में आ रही परेशानी का सरकार ने समाधान निकाला है। कोरोना की दूसरी लहर में बोर्ड कक्षा के दौरान भी विद्यालय और बोर्ड बदलने का विकल्प खोला गया है। इसका मुख्य कारण कोरोना काल में महंगे स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को सस्ते स्कूलों में दाखिला दिलाकर उनकी शिक्षा प्रभावित होने से बचाना है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना से टूटते कामकाज से परेशान चल रहे अभिभावकों को बच्चों की महंगी फीस जमा करने में आ रही परेशानी का सरकार ने समाधान निकाला है। कोरोना की दूसरी लहर में बोर्ड कक्षा के दौरान भी विद्यालय और बोर्ड बदलने का विकल्प खोला गया है। इसका मुख्य कारण कोरोना काल में महंगे स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को सस्ते स्कूलों में दाखिला दिलाकर उनकी शिक्षा प्रभावित होने से बचाना है।
मार्च, 2020 में लाकडाउन लगने से स्कूलों में पठन-पाठन प्रक्रिया प्रभावित हो गई थी। कोरोना का प्रकोप बढ़ जाने के कारण विद्यालय एक बार फिर बंद हो गए हैं और आनलाइन कक्षाएं शुरू हो गई। दूसरी तरफ कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों की महंगी फीस कोरोना में टूटे कामकाज के कारण नहीं भर पा रहे हैं। इस कारण उन्हें बच्चों को महंगे विद्यालयों में पढ़ाने में परेशानी आ रही है। इस स्थिति से बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने डीआइओएस को आदेश जारी किए हैं, जिसके तहत कोई भी बोर्ड कक्षा का विद्यार्थी निजी विद्यालयों से टीसी कटवाकर सरकारी विद्यालयों में नियमित पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश ले सकता है। घरेलू कक्षाओं के साथ यह नियम बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षाओं पर भी लागू है। डीआइओएस की संस्तुति पर सीबीएसई के विद्यार्थी यूपी बोर्ड के सरकारी विद्यालयों में प्रवेश लेकर भी बोर्ड की परीक्षाएं देंगे। इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
विभाग में पहुंचने लगे आवेदन
बोर्ड कक्षा में स्कूल बदलने का नियम लागू होने के बाद रुझान भी तेजी से आने शुरू हो गए हैं। डीआइओएस ने अभी तक दो विद्यार्थियों के लिए संस्तुति कर दी है। इसमें एक 12वीं कक्षा का छात्र हिमालयन पब्लिक स्कूल का है, जिसको पचेंडा के जनता इंटर कालेज में प्रवेश दिलाया गया। दूसरा 10वीं का छात्र लाला जगदीश प्रसाद इंटर कालेज से है, जिसको शहर के डीएवी इंटर कालेज में प्रवेश दिलाया गया है। शेष तीन आवेदन पेंडिंग हैं।
एक विद्यालय में दस विद्यार्थियों का कोटा
विद्यालय बदलने के लिए छात्र स्वतंत्र हैं, लेकिन सभी सरकारी विद्यालयों के लिए बोर्ड की कक्षा के दौरान दाखिले सीमित रखे गए हैं। एक विद्यालय में दस दाखिले का ही कोटा है। इसमें दोनों बोर्ड की कक्षाओं के विद्यार्थी शामिल हैं।
इन्होंने कहा..
कोरोना के दृष्टिगत अभिभावकों को राहत दी गई है। नए नियम में बोर्ड कक्षा के दौरान भी सरकारी विद्यालय में छात्र-छात्राएं दाखिला ले सकते हैं। नियमों को पूरा करने के बाद डीआइओएस की संस्तुति पर दाखिला कराया जा रहा है। बोर्ड बदलने की भी छूट रहेगी।
- गजेंद्र सिंह, डीआइओएस