लाकडाउन में दोहरी जिम्मेदारी निभाती रहीं मुक्ता
कोरोना के पहले चरण में लगे लाकडाउन के आगे जहां हर कोई घर से बाहर निकलने में खौफ खा रहा था वहां भी नारी शक्ति अपने साहस का परिचय देने कामयाब रही है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना के पहले चरण में लगे लाकडाउन के आगे जहां हर कोई घर से बाहर निकलने में खौफ खा रहा था, वहां भी नारी शक्ति अपने साहस का परिचय देने कामयाब रही है। फ्रंटलाइन वर्कर में शामिल रही महिला कर्मचारियों ने कोरोना के दौरान में खुद को सुरक्षित रखने के साथ अपने परिवार को सुरक्षित रखकर बड़ी चुनौतियों का सामना किया। पब्लिक सेक्टर की नौकरी करने वाली महिलाओं के साथ लाकडाउन में नौकरी करना कठिन बना हुआ था। ऐसे समय में उनकी समझदारी और हौसले से ही कोरोना को हर घंटे हराने का काम होता रहा।
शहर की मानसरोवर कालोनी निवासी मुक्ता रानी पत्नी विपिन कुमार जीवन बीमा निगम (एलआइसी) में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात हैं। लाकडाउन के दौरान जब हर कोई घर में बैठकर अपने को सुरक्षित कर रहे थे। ऐसे में एलआइसी की सहायक प्रशासनिक अधिकारी अपने ग्राहकों के लिए लाकडाउन के सन्नाटे को चीरकर दफ्तर में हर रोज पहुंचती रहीं। मुक्ता रानी बताती हैं कि लाकडाउन में लोगों को रुपयों की सबसे अधिक जरूरत थी तो लोग एलआइसी की तरफ भी रुख कर आस में रहे थे। ऐसे में पब्लिक सीधे उनसे मिलकर सेवाएं ले रही थी। उन्होंने बताया कि लाकडाउन में पब्लिक से मिलना खतरे से खाली नहीं था। इसके बाद भी घर के साथ दफ्तर की जिम्मेदारी संभाली गई। उन्होंने बताया कि घर में बुजुर्ग सदस्य भी हैं। इसके चलते उन्होंने अपने व परिवार के स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखा। घर में सभी के लिए पौष्टिक भेाजन बनाया। बाहर निकलते समय कोविड नियमों का पालन किया। शाम को घर आते ही पहले कपड़े और खुद को सैनिटाइज किया। इसके बाद घर की सभी जिम्मेदारी संभालते हुए घर के कामकाज संभालकर लाकडाउन का चुनौतीपूर्ण सफर तय किया गया। अब फिर वही समय लौट रहा है, जिसके लिए तैयार रहना जरूरी है।