कर्तव्य पथ पर चलते 'बिछड़' गई मां
धन्य हैं ऐसी माताएं जो अपनी जान की परवाह किए बिना बच्चों को कर्तव्य परायणता के संस्कार देती हैं। कोविड-19 हास्पिटल बनाए गए मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अतुल की मां ने भी खुद तकलीफ सहना गंवारा समझा और डाक्टर बेटे को कर्तव्य से विचलित नहीं होने दिया। नतीजतन वह खुद तो दुनिया से चली गई लेकिन बेटे को दिए इंसानियत के संस्कार छोड़ गई।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। धन्य हैं ऐसी माताएं जो अपनी जान की परवाह किए बिना बच्चों को कर्तव्य परायणता के संस्कार देती हैं। कोविड-19 हास्पिटल बनाए गए मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अतुल की मां ने भी खुद तकलीफ सहना गंवारा समझा और डाक्टर बेटे को कर्तव्य से विचलित नहीं होने दिया। नतीजतन वह खुद तो दुनिया से चली गई, लेकिन बेटे को दिए इंसानियत के संस्कार छोड़ गई।
मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष एमडी चिकित्सक डा. अतुल कुमार इन दिनों संक्रमित मरीजों की जांच में जुटे हैं। वह कोरोना वायरस की गति तथा उसकी क्रियाओं पर भी शोध कर रहे हैं, प्रत्येक मरीज से लिया गया जांच का नमूना उनकी आंखों से होकर गुजरता है। प्रतिदिन हजारों जांच की जिम्मेदारी है। इसका अंदाजा कानपुर के गोविदपुरी में रह रही उनकी मां जयश्री को भी था। कानपुर में उनकी हालत बिगड़ी तो फर्ज अदायगी में जुटे डाक्टर बेटे को परेशान करना उन्होंने उचित नहीं समझा। ज्यादा हालत खराब होने की खबर डा. अतुल कुमार को लगी तो उन्होंने एंबुलेंस भेजकर मां को कानपुर से बुलाकर मंगलवार को नगर के डिवाइन अस्पताल में भर्ती करा दिया। डा. अतुल की पत्नी डा. सोनिका भी डिवाइन अस्पताल में कार्यरत हैं। डा. अतुल मां की तबीयत के बारे में पल-पल की खबर ले रहे थे, लेकिन काम की अधिकता के कारण वह डिवाइन अस्पताल रुक नहीं पा रहे थे। मां ने भी उन्हें काम छोड़कर अस्पताल आने से मना किया था, लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था। शनिवार को सुबह बुजुर्ग मां जयश्री ने अंतिम सांस ली। डा. अतुल कहते हैं कि यदि मां समय रहते उन्हें अपनी तबीयत के बारे में बता देतीं तो वह कानपुर पहुंचकर उनका बेहतर उपचार करा देते। डा. अतुल के छोटे भाई को भी संक्रमित आने पर डिवाइन में ही भर्ती कराया गया है।