जलजले की जद में पश्चिम के ज्यादातर जिले
जलजला। यह शब्द सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है। लेकिन हकीकत यह है कि मुजफ्फरनगर सहारनपुर मेरठ व बागपत समेत पश्चिम में अधिकतर जिले जलजले की जद में हैं। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी ने सूबे के 26 जिलों को हाई डैमेज रिस्क जोन में रखा है जिनमें अधिकतर पश्चिम उत्तर प्रदेश के हैं। बुधवार की तरह अभी तक कई बार पश्चिम उत्तर प्रदेश की धरती डोल चुकी है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जलजला। यह शब्द सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है। लेकिन, हकीकत यह है कि मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ व बागपत समेत पश्चिम में अधिकतर जिले जलजले की जद में हैं। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी ने सूबे के 26 जिलों को हाई डैमेज रिस्क जोन में रखा है, जिनमें अधिकतर पश्चिम उत्तर प्रदेश के हैं। बुधवार की तरह अभी तक कई बार पश्चिम उत्तर प्रदेश की धरती डोल चुकी है।
धरा के बढ़ते तापमान ने सभी को चिता में डाल रखा है। भूगर्भ का पारा चढ़ने से भूकंप की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं। बुधवार को इसका मुजाहिरा एक बार फिर दिखा। साल में दूसरी बार है जब भूकंप का केंद्र मुजफ्फरनगर रहा। इससे पहले इसी साल 27 मई को रात 11 बजकर 22 मिनट पर बुढ़ाना के तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में रिक्टर स्केल पर 4.2 मैग्नीट्यूड का भूकंप दर्ज किया गया। देर रात और तकरीबन 20 किलोमीटर गहराई के साथ आए इस भूकंप का किसी को पता नहीं चल सका। अब दो महीने बाद एक बार फिर धरा के भीतर हलचल संभलने का संकेत है। आइएमडी (इंडियन मेटोलाजिकल डिपार्टमेंट ) की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ साल पहले भी बुढ़ाना के जौला गांव से दो किलोमीटर उत्तर में दस किलोमीटर डेप्थ पर भूकंप का केंद्र रहा। मुजफ्फरनगर समेत पड़ोसी जिले हाई रिस्क जोन में
एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी) की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के 26 जिलों को हाई रिस्क डैमेज जोन में रखा गया है, जबकि 10 जिले माडरेट डैमेज रिस्क जोन में शामिल हैं। हाई रिस्क डैमेज जोन में शामिल जिलों में मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर समेत ज्यादातर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। जानकारों के मुताबिक, मुजफ्फरनगर समेत कई जिले दिल्ली-हरिद्वार रिज फाल्ट लाइन में आते हैं। रिज लाइन में हलचल के चलते धरती डोल उठती है। क्या करें
- भूकंप के वक्त आप घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। - घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। - भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें और झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें। - अगर रात में भूकंप आए तो बिस्तर पर लेटे रहें। तकिए से सिर ढक लें। - घर के सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। - अगर भूकंप के दौरान मलबे के नीचे दब जाएं तो किसी रुमाल या कपड़े से मुंह को ढंके। - खुद की मौजूदगी को जताने के लिए पाइप या दीवार को बजाते रहें, ताकि बचाव दल आपको तलाश सके। - अगर आपके पास कुछ उपाय न हो तो चिल्लाते रहें और हिम्मत न हारें।
क्या न करें
- भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हैं तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें। - अगर आप गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर न निकलें। - किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी न करें। - कांच की खिड़कियों, दरवाजों और दीवारों के पास न जाएं। - भूकंप के वक्त लिफ्ट व कमजोर सीढि़यों का इस्तेमाल न करें। - भूकंप के दौरान पैनिक न करें व किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं।