इन्सान को मौत व जिदगी के मायने समझना जरूरी : मौलाना
ककरौली के बेहड़ा सादात गांव स्थित इमाम बारगाह दीवाने खास में प्रसिद्ध शिया विद्वान मौलाना कमर गा•ाी जैदी के चेहल्लुम के अवसर पर मजलिस-ए-तरहीम का आयोजन ईसाले सवाब के लिए किया गया। मजलिस में बड़ी संख्या में शिया धर्मगुरुओं विद्वानों तथा गणमान्यों ने भाग लिया व दिवंगत मौलाना को श्रद्धांजलि पेश की और उनके जीवन से शिक्षा लेने पर बल दिया। इस दौरान कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन का पालन करने व वैक्सीन लगवाने की हिदायत भी दी गई।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। ककरौली के बेहड़ा सादात गांव स्थित इमाम बारगाह दीवाने खास में प्रसिद्ध शिया विद्वान मौलाना कमर गा•ाी जैदी के चेहल्लुम के अवसर पर मजलिस-ए-तरहीम का आयोजन ईसाले सवाब के लिए किया गया। मजलिस में बड़ी संख्या में शिया धर्मगुरुओं, विद्वानों तथा गणमान्यों ने भाग लिया व दिवंगत मौलाना को श्रद्धांजलि पेश की और उनके जीवन से शिक्षा लेने पर बल दिया। इस दौरान कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन का पालन करने व वैक्सीन लगवाने की हिदायत भी दी गई।
मजिलस में मौलाना कमर सुल्तान ने कहा कि दिवंगत मौलाना ़कमर गा•ाी का दुनिया से चले जाना बड़ी सामाजिक क्षति है। ऐसे विद्वान रोज पैदा नहीं होते हैं। उनकी जिदगी सभी के लिए प्रेरणादायक है। इन्सान को मौत और जिदगी के अंतर को समझना चाहिए। कुछ लोग जिदा रहते हुए भी मुर्दे के समान हैं और एक वह जो मर कर भी फै•ा और लाभ का माध्यम हैं। बुरे और अच्छे का अंतर यही है कि बुरे को कहा जाता है कि मर जाए तो अच्छा है और अच्छे इंसान के लिए कहा जाता है कि और जी जाते तो अच्छा था। अच्छे इन्सान किसी को भी कष्ट नहीं देते। जिससे मिलकर रूह को सुकून मिले, जिससे मुलाकात की आरजू और तड़प बाकी रहे, वही उज्ज्वल चरित्र वाले लोग ईश्वर के नजदीक हैं। एक य•ाीद •ालिम की जिदगी थी, जिसे कोई जीना नहीं चाहता और एक इमाम-ए-•ामाना हजरत हुसैन की शहादत है। कार्यक्रम में सैयद असद र•ा हुसैनी, सैयद मसरूर अब्बास, मौलाना कमर हसनैन, तकी र•ा देहलवी, मौलाना आबिद अब्बास मंचासीन रहे। नोहाख्वानी •ाीशान हैदर व सो•ा़ख्वानी हसन अली ने की। इसके अलावा सपा नेता सैयद अली अब्बास, रालोद नेता डा. हाशिम र•ा जैदी, शाहर•ा ऩकवी, मुमता•ा जैदी, निया•ा मेहंदी व औसत मियां मौजूद रहे।