विदेशी खैरात पर फलफूल रहे मदरसों की खंगाली जाएगी कुंडली

मौलाना कलीम के बनाए मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के साथ अन्य मदरसों की भी कुंडली खंगाली जाएगी। एटीएस की कार्रवाई के बाद खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है। अधिकांश मदरसे विदेशी खैरात के दम पर फल-फूल रहे हैं। इन मदरसों को किन-किन माध्यमों से पैसा मिला है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 11:58 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 11:58 PM (IST)
विदेशी खैरात पर फलफूल रहे मदरसों की खंगाली जाएगी कुंडली
विदेशी खैरात पर फलफूल रहे मदरसों की खंगाली जाएगी कुंडली

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मौलाना कलीम के बनाए मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के साथ अन्य मदरसों की भी कुंडली खंगाली जाएगी। एटीएस की कार्रवाई के बाद खुफिया तंत्र सक्रिय हो गया है। अधिकांश मदरसे विदेशी खैरात के दम पर फल-फूल रहे हैं। इन मदरसों को किन-किन माध्यमों से पैसा मिला है। इसके लिए बैंक खातों और दस्तावेजों की तलाश तेज हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि मौलाना कलीम के मदरसे पर एटीएस बड़ी कार्रवाई कर सकती है।

मौलाना कलीम सिद्दीकी के गांव फुलत को मदरसों का गढ़ कहा जाता है। इस गांव में चार से अधिक मदरसे संचालित हो रहे है। सभी मदरसों का कई-कई बीघा में निर्माण किया गया है। जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया मदरसे के संचालक मौलाना कलीम सिद्दीकी मतांतरण को लेकर सुर्खियों में है। एटीएस को मौलाना के खिलाफ जिस तरह के साक्ष्य मिले हैं, उससे साफ है कि कानून विरोधी मतांतरण नेटवर्क को मदरसों से चलाया जा रहा था। मतांतरण के लिए मदरसों को कंट्रोल रूम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था। मौलाना के मदरसे का भवन करोड़ों रुपये की लागत से बना है, जबकि कई अन्य भवन भी हैं। फुलत गांव के कुछ अन्य मदरसे भी रडार पर आ गए हैं। सूत्रों की मानें तो मदरसों को देश के विभिन्न राज्यों के अलावा सऊदी, दुबई और बहरीन से बड़े पैमाने पर चंदा मिल रहा था। अब मदरसों को किन-किन माध्यमों से पैसा पहुंचता है। उसका जरिया क्या है? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए मदरसों की कुंडली खंगाली जानी लगभग तय है।

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बैंक खातों और कागजों की तलाश

मौलाना कलीम के गिरफ्तार होते ही मदरसों में ताले डाल दिए गए हैं। जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के साथ मदरसा फैजुल इस्लाम की देखरेख भी मौलाना के अधीन थी। इन मदरसों में पढ़ने वालों से आने-जाने वाले मेहमानों का खर्च मौलाना द्वारा बताए गए नियमों पर होता है। अमूमन इन मदरसों में एक दिन का खर्च पांच से 10 हजार रुपये रहता है। यह पैसा मदरसों को बैंक खातों के जरिए मिलता है या सीधे चंदा होता है। इसकी पड़ताल के लिए खुफिया विभाग ने गोपनीय रूप से बैंक खातों की तलाश शुरू कर दी है।

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