नियम पर भारी मनमानी, हादसों से सिसक रही जिदगी

नियमों पर मनमानी भारी पड़ रही है। आए दिन हो रहे सड़क हादसों से जिदगी सिसक रही है। हादसों का सबब ऐसे वाहन बन रहे हैं जो मानकों पर कतई खरे नहीं उतरते। ये वाहन दिन-रात अफसरों की आंखों के सामने दौड़ते हैं लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूरी हो रही है। वाहनों की फिटनेस में भी पूरी तरह से मानकों को नहीं परखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 07:26 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 07:26 PM (IST)
नियम पर भारी मनमानी, हादसों से सिसक रही जिदगी
नियम पर भारी मनमानी, हादसों से सिसक रही जिदगी

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। नियमों पर मनमानी भारी पड़ रही है। आए दिन हो रहे सड़क हादसों से जिदगी सिसक रही है। हादसों का सबब ऐसे वाहन बन रहे हैं, जो मानकों पर कतई खरे नहीं उतरते। ये वाहन दिन-रात अफसरों की आंखों के सामने दौड़ते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर खानापूरी हो रही है। वाहनों की फिटनेस में भी पूरी तरह से मानकों को नहीं परखा जा रहा है। इसके चलते अवैध रूप से वाहन संचालन करने वालों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।

स्कूली वाहन, ट्रांसपोर्टर्स के साथ कृषि और व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस के लिए अलग-अलग मानक रखे गए हैं। कोहरा और स्माग में वाहनों की तेज रफ्तार और खराब फिटनेस भी हादसों का बड़ा कारण है। खराब फिटनेस के बावजूद वाहनों को फुल स्पीड पर दौड़ाया जा रहा है। इससे हादसों में इजाफा हो रहा है। इन दिनों गन्ना पेराई सत्र चल रहा है। सड़कों, मार्गों पर ओवरलोडेड वाहन दौड़ रहे हैं, जिन पर कार्रवाई के नाम पर विभाग शून्य है।

गन्ने की ट्राली अवैध : एआरटीओ

एआरटीओ विभाग का दावा है कि शुगर मिलों में गन्ना ढोने के लिए लगाई जाने वाली ट्रालियां पूर्ण रूप से अवैध है। विभाग में इनका पंजीकरण नहीं होता है। इन ट्रालियों के लिए मानक नहीं बने हैं। सवाल है कि अपंजीकृत होने के बाद भी इन्हें कैसे दौड़ने की आजादी दी गई है। कोहरे और सर्दी में यह बड़े हादसों का सबब बन रही है। विभाग में कृषि कार्य के लिए 16 हजार और व्यावसायिक में 70 से अधिक ट्रालियां पंजीकृत है।

यह हैं कृषि और व्यावसायिक ट्राली के मानक

एआरटीओ विनीत मिश्र ने बताया कि परिवहन विभाग में कृषि एवं व्यावसायिक ट्रालियों के लिए नियम बने हैं। इनमें एक ट्राली की लंबाई साढ़े चार मीटर, चौड़ाई ढाई मीटर और ऊंचाई एक मीटर होनी चाहिए। इस ट्राली में चार से पांच टन के बीच वजन ढोया जा सकता है।

फिटनेस में यह होती है जांच

आरआइ अखिलेश ने बताया कि ट्रांसपोर्ट से जुड़े वाहनों को वार्षिक रूप से फिटनेस कराना जरूरी है। बैक लाइट, टेल लाइट और हेड लाइट सबसे पहले देखी जाती है। उसके बाद वाहन की फिजिकल स्थिति का आंकलन होता है। रिफ्लेक्टर लगा होना जरूरी है। ट्रालियों में साइड में पीले रंग का रिफ्लेक्टर और पीछे लाल रंग का रिफ्लेक्टर होना चाहिए। इंडीकेटर भी होने अनिवार्य हैं।

कार-बाइक की एक बार फिटनेस

परिवहन विभाग में पांच सीटर से ज्यादा वाहन की फिटनेस दो वर्ष में जांची जाती है। इससे नीचे एक बार में ही फिटनेस प्रमाण-पत्र दिया जाता है। बाइक, स्कूटर आदि की फिटनेस चेक नहीं होती है।

chat bot
आपका साथी