योग पथ पर चलने को दृढ़ संकल्प बेहद जरूरी
श्री अरविन्द निकेतन आश्रम में आयोजित स्वाध्याय सप्ताह का रविवार को ध्यान-योग के बाद समापन हो गया। स्वाध्याय सप्ताह के दौरान साधकों द्वारा योगी श्री अरविद घोषश्री मां व
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। श्री अरविंद निकेतन आश्रम में आयोजित स्वाध्याय सप्ताह का रविवार को ध्यान-योग के बाद समापन हो गया। स्वाध्याय सप्ताह के दौरान साधकों द्वारा योगीश्री अरविद घोष, श्रीमां व आचार्य अभयदेव जी के जीवन के संस्मरण को सुनाया गया। साधकों द्वारा 1950 से आश्रम में ध्यान एवं स्वाध्याय सप्ताह प्रतिवर्ष मनाया जाता है। वहीं साधकों द्वारा श्रीअरविद व श्रीमां का 28वां समाधि दिवस मनाते हुए समाधि पर पुष्प अर्पित कर प्रसाद वितरण किया गया।
स्वाध्याय सप्ताह के मुख्य साधक महेशचंद ने कहा कि योग ही ईश्वर की प्राप्ति का एक सुलभ साधन है। योग के द्वारा मानव अपनी समस्त क्रियाओं को क्रियान्वित कर सकता है। किसी भी योग को सफलतापूर्वक तब तक नहीं किया जा सकता। जब तक मनुष्य उस महानतम आध्यात्मिक जीवन के प्रति जागने की प्रबल आवश्यकता का अनुभव नहीं करे। इस गंभीर और विशाल आंतरिक परिवर्तन के लिए जिस आत्मा का आह्वान किया जाता है। वह मनुष्य को योग के विभिन्न मार्ग दिखा सकती है। साधिका मीरादेवी ने कहा कि आत्मा चाहे कोई भी मार्ग दिखाए, योग पथ पर चलने के लिए मनुष्य के मन और इच्छा शक्ति का संकल्प बहुत जरूरी है। किसी उच्चतर बौद्धिक जिज्ञासा को हमारा मन चाहे जितनी दृढ़ता के साथ क्यों नहीं अपना ले, लेकिन हमारे जीवन पर इसका असर तब तक नहीं होगा जब तक हृदय इसे इस रूप में स्वीकार नहीं कर लें। बालकृष्ण गुप्ता ने कहा कि जो व्यक्ति भगवान को पाना चाहता है उसे ईश्वर के प्रति ही आत्म निवेदन करना होगा, तभी वह ईश्वर को पाने के मार्ग पर पहुंच सकता है। ईश्वर प्राप्ति के लिए मनुष्य को अपनी अंतरात्मा, मन, इंद्रिय, हृदय, इच्छा शक्ति, प्राण और शरीर को अपनी सभी शक्तियों का अर्पण इतनी पूर्णता के साथ तथा ऐसे तरीके से करना होगा कि वह भगवान का उपयुक्त वाहन बन जाये। इस कार्यक्रम में विजयपाल त्यागी,धर्मराज त्यागी, महेश त्यागी, यशपाल सिंह, मीरादेवी का विशेष सहयोग रहा है। इस मौके पर बालकृष्ण गुप्ता, विजयपाल त्यागी, सदानन्द त्यागी, धर्मराज त्यागी, महेश चन्द शर्मा, जसबीर त्यागी, मीरादेवी, शशि देवी,महेश त्यागी, सोनू त्यागी आदि मौजूद रहे।