जन्म के पहले घंटे में जरूर पिलाएं मां का पहला गाढ़ा पीला दूध
मां के दूध की अहमियत सर्वविदित है। यह बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करने के साथ ही उसे आयुष्मान भी बनाता है। कोरोना ही नहीं बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से मां का दूध बच्चे को पूरी तरह से महफूज बनाता है। इसलिए जन्म के पहले घंटे में मां का पहला गाढ़ा पीला दूध शिशु को जरूर पिलाना चाहिए। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम- स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी साझा जिम्मेदारी तय की गयी है। विश्व स्तनपान सप्ताह आज से शुरू हो रहा है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मां के दूध की अहमियत सर्वविदित है। यह बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करने के साथ ही उसे आयुष्मान भी बनाता है। कोरोना ही नहीं, बल्कि कई अन्य संक्रामक बीमारियों से मां का दूध बच्चे को पूरी तरह से महफूज बनाता है। इसलिए जन्म के पहले घंटे में मां का पहला गाढ़ा पीला दूध शिशु को जरूर पिलाना चाहिए। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए ही इस साल इस सप्ताह की थीम- 'स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी' तय की गयी है। विश्व स्तनपान सप्ताह आज से शुरू हो रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश गौड़ ने बताया विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गृह भ्रमण कर मां और समुदाय को स्तनपान के फायदे बताएंगी। पानी, डिब्बा बंद दूध व बोतल का प्रयोग न करने की सलाह
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर धात्री माताओं को पानी, डिब्बा बंद दूध या फिर बोतल का प्रयोग बिल्कुल न करने की सलाह देंगी। क्योंकि इससे दस्त या अन्य संक्रमण हो सकता है और शिशु कुपोषित हो सकता है। सभी धात्री माताएं सावधानी अपनाते हुए कोविड के दौरान भी अपने बच्चों को स्तनपान जारी रखें, क्योंकि यह सबसे सुरक्षित और पोषित विकल्प है। इसके साथ ही सा़फ हाथों से ही नवजात को छुएं, स्तनपान कराते समय सफाई के विशेष ध्यान रखें, स्तनपान कराने से पहले हाथों को 40 सेकेंड तक अवश्य धोएं, इसके साथ ही स्तनपान कराते समय नाक व मुंह पर मास्क लगायें, यदि मां को कोविड संक्रमण की पुष्टि हो गयी है तो नाक व मुंह पर मास्क जरूर लगायें, इसके अलावा जिस सतह पर बैठ कर स्तनपान करा रही हों उसे भी साफ रखें या सैनिटाइज करें, यदि किसी कारणवश मां बीमार है और स्तनपान कराने में असमर्थ है तो परिवार के सदस्यों के सहयोग से दूध को सा़फ हाथों से कटोरी में निकाल कर चम्मच से पिलाएं। यदि मां के लिए बिलकुल संभव नहीं है तो डाक्टर से सलाह लें। हर माह बच्चे का वजन कराएं और मातृ शिशु सुरक्षा कार्ड में अंकित करवाएं आदि विषयों के बारे में जानकारी दी जाएगी।