तीसरे दिन कम हुआ गंगा का जलस्तर

मीरापुर में पिछले तीन से गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया हुआ था। गुरुवार को मध्य गंगा बैराज पर गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर पर पहुंच गया जिससे सिचाई विभाग व प्रशासन ने राहत की सांस ली।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 11:56 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 11:56 PM (IST)
तीसरे दिन कम हुआ गंगा का जलस्तर
तीसरे दिन कम हुआ गंगा का जलस्तर

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मीरापुर में पिछले तीन से गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाया हुआ था। गुरुवार को मध्य गंगा बैराज पर गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 40 सेंटीमीटर पर पहुंच गया, जिससे सिचाई विभाग व प्रशासन ने राहत की सांस ली।

पहाड़ों पर हुई बारिश के कारण गंगा रौद्र रूप में बह रही थी। मध्य गंगा बैराज पर तीसरे दिन गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से काफी नीचे पहुंच गया। बुधवार को जीवनपुरी गांव व रामपुर ठकरा गांव में गंगा का पानी आ जाने से ग्रामीण भयभीत दिखाई पड़ रहे थे। तीन दिन तक गंगा ने अपने रौद्र रूप से खादर क्षेत्र के एक दर्जन गांवों की हजारों बीघा फसल को जलमग्न कर दिया। साथ ही कई गांवों की सैकड़ों बीघा फसल को अपने साथ बहा ले गई। गुरुवार को सिचाई विभाग के कर्मचारियों ने सुबह 8 बजे गंगा में 1 लाख 27 हजार क्यूसेक जल निस्सारण की माप दर्ज की, जिससे गंगा का जलस्तर चेतावनी बिदु 219.70 मीटर पर रहा, जबकि शाम 6 बजे गंगा में 96678 क्यूसेक जल निस्सारण रहा, जिससे जलस्तर 219.50 मीटर पर पहुंच गया। गंगा का जलस्तर घटने पर प्रशासन ने राहत की सांस ली है, जबकि खादर क्षेत्र के ग्रामीणों के सामने चारे का संकट गहरा गया है। किसानों को फसल का नुकसान होने पर उन्हे मुआवजा दिए जाने के लिए प्रशासन ने सर्वे कराना शुरू कर दिया है। किसानों पर दोहरी मार

गंगा के पानी से कुछ माह पूर्व दर्जनों किसानों की गन्ना, चारा, सब्जी आदि की फसल चौपट हो गई थी। उसके बाद किसानों पर अब फिर से कुदरत की मार पड़ गई तथा गंगा ने सैकड़ों बीघा फसल को अपने चपेट में लेकर नष्ट कर दिया। हंसावाला व अल्लूवाला के किसान रोहताश, मूलचंद, हरीशचंद, दरियाव, दुष्यंत, टीकाराम, अलवल सिंह व मनोज आदि दोहरी मार के कारण माथा पकड़कर बैठ गए हैं तथा अपनी किस्मत को दोष दे रहे हैं। --- सरसों की फसल रहेगी न के बराबर

कृषि विभाग के अधिकारी खादर क्षेत्र में घूमकर फसलों में हुए नुकसान का अनुमान लगाने में जुटे हुए हैं। कृषि विभाग के अनुसार खादर क्षेत्र 250 एकड़ से 300 एकड़ सरसों की फसल की बुवाई होती है। खादर क्षेत्र की मिट्टी चिकनी होने के साथ उसकी क्षमता पानी को पीने की कम होती है, जिससे इस बार खादर में चौए का जंगल होने से यहां पर सरसों की फसल न के बराबर रहने का अनुमान है, जबकि खादर क्षेत्र में इस बार गेहूं की फसल पर भी असर पड़ सकता है। इनका कहना है..

गन्ने में जहां जलभराव है वहां थोड़ा बहुत नुकसान होगा। धान में अधिक नुकसान होने का अनुमान है। जिला प्रशासन द्वारा फसल के नुकसान का सर्वे कराया जा रहा है।

-आरपी चौधरी, उप कृषि निदेशक, मुजफ्फरनगर।

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