जलस्तर घटने के बाद मिला बाढ़ से बचाव का सामान
मीरापुर में गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद प्रशासन बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर इतिश्री तो कर लेता है लेकिन गांव में बाढ़ से बचाव के लिए पर्याप्त साधन भी मौजूद है कि नहीं इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मीरापुर में गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद प्रशासन बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर इतिश्री तो कर लेता है, लेकिन गांव में बाढ़ से बचाव के लिए पर्याप्त साधन भी मौजूद है कि नहीं, इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
मंगलवार को गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर रहा। इसके बावजूद भी गांव में बाढ़ से बचाव के साधन उपलब्ध नहीं थे। बुधवार को जब गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से घट गया तो प्रशासन की नींद टूट गई तथा प्रशासन को बाढ़ से बचाव के साधन का होश आया। बुधवार को दोपहर में करीब 2 बजे ट्रैक्टर-ट्राली में भरकर बाढ़ से बचाव का सामान हंसावाला गांव पहुंचा। बता दें कि उक्त सामान आज तक पूर्व प्रधान के कब्जे में ही था, जबकि पिछले छ: माह से गंगा दो बार खतरे के निशान को पार कर चुकी है। प्रशासन की यह लापरवाही ग्रामीणों को भारी पड़ सकती थी।
रातभर तटबंध पर मौजूद रहे ग्रामीण
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मीरापुर में गंगा के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीण रात भी सही तरह से सो भी नहीं सके। हंसावाला व अल्लूवाला के ग्रामीण रात भी तटबंध की सुरक्षा में बारी-बारी से ड्यूटी देते रहे। गंगा का जलस्तर बढ़ते ही प्रशासन तटबंध की मरम्मत का कार्य शुरू करा देता है, जिसके लिए लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन उसके बाद भी तटबंध का कटान नहीं रुक पाता है। थोड़ी सी बारिश होते ही मिट्टी कटकर बह जाती है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से तटबंध पक्का कराने तथा पत्थरों की ठोकरें बनवाने की मांग की है।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने जाना ग्रामीणों का हाल
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मीरापुर के जीवनपुरी गांव में गंगा का पानी घुसने की जानकारी लगने पर जिला पंचायत अध्यक्ष वीरपाल निर्वाल ने गांव में पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया तथा गंगा की सिल्ट निकलवाने का आश्वासन दिया।
गंगा बैराज पर बढ़े हुए जलस्तर से प्रशासन में हडकंप मचा हुआ है। बुधवार की सुबह जिला पंचायत अध्यक्ष वीरपाल निर्वाल गांव जीवनपुरी में पहुंचे तथा ग्रामीणों से वार्ता की। ग्रामीणों ने उन्हे गंगा में जमी सिल्ट से अवगत कराते हुए सिल्ट सफाई कराने की मांग की। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 6 माह में चार बार गंगा का जलस्तर बढ़ने से उनकी फसले नष्ट हो चुकी है। साथ ही गांव के पानी के कारण उनकी आलू, सरसों, सिघाड़ा व सब्जी की फसल नष्ट हो गई है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मुआवजे की मांग की है।