पहला कर्तव्य धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत को बचाना : राणा

पुरकाजी क़स्बे में बजरंग दल ने धर्म रक्षा निधि अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया। धर्म को लेकर मिल रही चुनौतियों के बारे में बताते हुए उसका जवाब देने के बारे में जानकारी दी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 10:05 PM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 10:05 PM (IST)
पहला कर्तव्य धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत को बचाना : राणा
पहला कर्तव्य धार्मिक व सांस्कृतिक विरासत को बचाना : राणा

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पुरकाजी क़स्बे में बजरंग दल ने धर्म रक्षा निधि अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया। धर्म को लेकर मिल रही चुनौतियों के बारे में बताते हुए उसका जवाब देने के बारे में जानकारी दी।

विश्व हिदू परिषद, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को दोपहर में नगर में धर्मरक्षा निधि समर्पण अभियान की शुरुआत की। बजरंग दल के विभाग सह संयोजक पीयूष राणा ने बताया कि वर्तमान समय में देश में हिदू समाज विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहा है। कहा कि निरंतर आगे बढ़ते रहने के लिए इन चुनौतियों का जवाब देना बहुत आवश्यक है। हमारा सबसे पहला कर्तव्य अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को बचाना है। साथ ही धर्म की रक्षा करना भी बहुत •ारूरी है। बताया कि विश्व हिदू परिषद साल में एक बार पूरे देश में धर्म रक्षा निधि समर्पण अभियान चलाती रहा, जिसका उद्देश्य परिषद के आयोजन में सीधे तौर पर आम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना होता है। इसमें संगठन के साथ समाज का भी योगदान लिया जाता है। राणा ने जानकारी दी कि अभियान 15 नवंबर से शुरू हुआ था तथा 15 दिसंबर को इसका समापन कर दिया जाएगा। इस दौरान नगर सह संयोजक अमन गोयल, अनूप गोयल, सौरभ मित्तल, अंकित पाल व विकास पाल आदि मौजूद रहे।

करती है मर्यादा जिनको प्रणाम, ऐसे हैं जग में मेरे राम..

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जिले की अग्रणी साहित्यिक संस्था 'वाणी' की मासिक काव्य गोष्ठी साकेत मोहल्ला स्थित वाणी अध्यक्ष राकेश कौशिक के आवास पर एडवोकेट ब्रजेश्वर सिंह त्यागी की अध्यक्षता में हुई। कवियों और शायरों ने समसामयिक और अन्य ज्वलंत विषयों पर प्रेरक रचनाएं प्रस्तुत कीं। गोष्ठी का शुभारंभ राहुल वशिष्ठ ने मां सरस्वती के गुणगान से किया।

जीतेंद्र पांडेय की रचना-करती है मर्यादा जिनको प्रणाम, ऐसे हैं जग में मेरे राम, मेरे राम। रामकुमार शर्मा रागी की रचना-मानता हूं उड़ान अभी अधूरी है, मगर जमीं पर पैर रखना जरूरी है। कब तलक सहारा लोगे दूसरों का, अपने बाजुओं में भी जान जरूरी है। डा. ए. कीर्तिवर्धन की रचना- हर पल तजुर्बा सिखाती है जिदगी, सुबह ख्वाबों को याद दिलाती है जिदगी। सुनील शर्मा की रचना-झांक रहे हम सबके आंगन, अपने आंगन झांके कौन। ब्रह्मप्रकाश त्यागी ने देश के बंटवारे पर अपना रोष ऐसे प्रकट किया-सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा, कहने को तो कह दिया, फिर उसी के टुकड़े करने को झंडा उठा दिया। राकेश कौशिक ने युवा पीढ़ी पर कटाक्ष करते हुए अपनी रचना कुछ यूं पढ़ी-सूरज के निकलने पर दिन चढ़ा करता था, अब दिन के चढ़ने पर सूरज निकलता है।

राहुल वशिष्ठ, गीतकार डा. ब्रजेश कुमार मिश्रा, विपुल शर्मा ने भी रचनाकारों का उत्साहवर्धन किया। संचालन रामकुमार शर्मा रागी ने किया।

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