राजनीतिक बन गया है किसान आंदोलन : डा. बालियान

दिल्ली में उपद्रव से केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान बेहद आहत और आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि किसान कौम को ऐसे लोगों ने बदनाम करा दिया जिन्हें जनता रिजेक्ट कर चुकी हैं। हिसा कराने वालों को जनता माफ नहीं करेगी। उन पर कानूनी कार्रवाई भी होगी। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से अपील की है वापस अपने घर लौट आओ। बाबा चौ. महेंद्र सिंह टिकैत कृषि कानूनों के पक्षधर थे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 11:49 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 11:49 PM (IST)
राजनीतिक बन गया है किसान आंदोलन : डा. बालियान
राजनीतिक बन गया है किसान आंदोलन : डा. बालियान

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। दिल्ली में उपद्रव से केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान बेहद आहत और आक्रोशित हैं। उन्होंने कहा कि किसान कौम को ऐसे लोगों ने बदनाम करा दिया, जिन्हें जनता रिजेक्ट कर चुकी हैं। हिसा कराने वालों को जनता माफ नहीं करेगी। उन पर कानूनी कार्रवाई भी होगी। उन्होंने आंदोलनकारी किसानों से अपील की है वापस अपने घर लौट आओ। बाबा चौ. महेंद्र सिंह टिकैत कृषि कानूनों के पक्षधर थे।

रामपुर तिराहा पर 151 फीट ऊंचे तिरंगा लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान ने कहा कि 72वें गणतंत्र दिवस पर देश की जनता खुश थी, दिल्ली में जो कुछ हुआ, उससे किसान होने के नाते वह अपमानित महसूस कर रहे हैं। किसान कौम के बेटे दिल्ली समेत देश की रक्षा करते हैं। उन बेटों पर भी हमला हुआ। ऐसे लोग अन्नदाता नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर किसान आंदोलन की भूमि रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह और किसान मसीहा चौ. महेंद्र सिंह टिकैत ने किसानहित में अनेक आंदोलन किए, लेकिन हिसा का कभी समर्थन नहीं किया। किसानों पर कभी उंगली नहीं उठी और पूरे देश की भावना किसानों के साथ रही। रालोद की ओर इशारा करते हुए कहा कि किसान आंदोलन में शामिल होने पर जो लोग टिकट की बात करते हैं और जिन्हें जनता नकार चुकी है ऐसे लोगों ने दिल्ली में घिनैना कार्य कराया है। बाबा महेंद्र सिंह टिकैत कृषि कानूनों के पक्षधर रहे। अपने आंदोलन में उन्होंने नए कृषि कानून बनाने की कई बार मांग की।

दिल्ली में आंदोलन कर रहे किसान भाइयों से अपील है कि अपने घर वापस आ जाओ। अब आंदोलन न तो किसानहित में है और न ही किसान हाथों में रहा है। इसे केवल मूछों की लड़ाई बना दिया गया है। किसान नेता नहीं चाहते आंदोलन खत्म हो। सरकार डेढ़ साल के लिए कृषि कानून निरस्त करने को तैयार है।

बक्कल उतारने जैसे शब्द स्वीकार नहीं

डा. संजीव बालियान ने मीडिया को दिए बयान में भाकियू की ओर इशारा करते हुए कहा कि किसान नेताओं ने दिल्ली पुलिस को शांति से ट्रैक्टर रैली निकाले के लिए आश्वस्त किया था फिर उनका नियंत्रण क्यों नहीं रहा? बक्कल उतारने जैसे शब्द बोले गए, जिनका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। ऐसे शब्द किसान को कमजोर करेंगे। केवल सुर्खियां बटोरने के लिए किया गया, जिससे किसान भ्रमित हुए।

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