विशेषज्ञों ने काली नदी के काम को सराहा
नमामि गंगे अभियान के विशेषज्ञों ने खतौली के अंतवाड़ा गांव में काली नदी के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया। नदी के पुनर्जीवन के लिए किए जा रहे प्रयासों को सराहा और बेहतर करने के सुझाव दिए।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। नमामि गंगे अभियान के विशेषज्ञों ने खतौली के अंतवाड़ा गांव में काली नदी के उद्गम स्थल का निरीक्षण किया। नदी के पुनर्जीवन के लिए किए जा रहे प्रयासों को सराहा और बेहतर करने के सुझाव दिए।
नमामि गंगे से जुड़े छोटी नदियों के विशेषज्ञ महावर सिंह, जैव विविधता विशेषज्ञ हरचरण सिंह और भूजल विशेषज्ञ आलोक कुमार नीर फाउंडेशन अध्यक्ष एवं नदी पुत्र रमनकांत त्यागी के साथ अंतवाड़ा पहुंचे। एडीओ योगेश्वरदत्त त्यागी, ग्राम विकास अधिकारी विजय शेखर ने नदी पर प्रशासनिक स्तर से हुए कार्यों की जानकारी दी। सभी कामों को फोटो फाइल के जरिये देखा।
जैव विविधता विशेषज्ञ हरचरण सिंह ने कहा कि मिट्टी को समतल करने के अलावा सिल्ट बाहर निकाली गई है। इससे नदी में स्वच्छ जल की मात्रा बढ़ी है। विशेषज्ञों ने नदी किनारों पर पेड़-पौधों की संख्या बढ़ाने का सुझाव दिया। इससे नमी रहेगी और जल से दूषित तत्वों को सोखने में मदद मिल सकेगी। भूजल विशेषज्ञ आलोक कुमार ने उद्गम स्थल से कुछ दूर चेक डैम बनाने का सुझाव दिया। इसमें द्वार लगाए जाएं, ताकि नदी में पानी का बहाव तेज हो। इसके बाद नदी के पुल पर पहुंचकर दोनों ओर पटरियां देखीं। नीर फाउंडेशन के अध्यक्ष और ब्लाक अधिकारियों को इनके चौड़ीकरण का सुझाव दिया। नदियों में नालों का पानी शोधन के बाद छोड़ने और नदी के किनारों को पूर्ण अतिक्रमण मुक्त बनाने की सलाह दी। प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने की विधि समझाई। इसके बाद टीम मेरठ रवाना हो गई। फिल्टर गड्ढों से मिलेगी मदद
विशेषज्ञों ने कहा कि नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। क्षेत्र के करीब 16 गांवों से गुजर रही नदी में शुद्ध पानी पहुंचाने के लिए जगह-जगह गड्ढे बनाए हैं। इनकी मदद से बरसात और छोटे नालों का पानी साफ होने के बाद नदी तक पहुंचाया जा रहा है। इस प्रयास को विशेषज्ञों ने बेहतर बताया।
नदियों की स्वच्छता और जल संरक्षण समय की जरूरत
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। खतौली के अंतवाड़ा गांव में काली नदी के निरीक्षण के बाद पत्रकार वार्ता में जैव विविधता विशेषज्ञ हरशरण सिंह ने कहा कि छोटी नदियों की स्वच्छता और जल संरक्षण वक्त की जरूरत है। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा।
नदियों के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए दूषित नालों को साफ करना होगा। इसके लिए महानगरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं। उद्योगों, खेती के अलावा आम उपभोग में भी अत्यधिक जल दोहन हो रहा है। इससे जल स्त्रोत कमजोर होने के साथ उनकी गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है। इसके लिए नमामि गंगा परियोजना के तहत पश्चिम उत्तर प्रदेश में काफी काम किया जा रहा है। गंगा किनारे के जनपदों में सामूहिक जागरूकता मुहिम जारी है।
छोटी नदी, नालों पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। नदी के तटों पर जैव विविधता के लिए फल-फूल और पशु आहार के पौधे लगाए जा रहे हैं। मुजफ्फरनगर जिले में कृषि के लिए अनुकूल माहौल है। इससे यहां भविष्य में जैव विविधता की भी संभावना है।
भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए तालाब, पोखरों के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के लिए जागरूकता बढ़ानी होगी। किसानों को फसल बुआई, सिचाई की नई विधियों से अवगत करा वर्षभर जल सरंक्षण हो सकता है।