दूसरे सोमवार को मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

पुरकाजी में सावन माह के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ शिव मंदिरों में उमड़ी। कस्बे के अलावा फलौदा खाईखेड़ी भैसानी मांडला व धमात आदि गांवों में बुजुर्ग महिला पुरुष व युवक-युवतियों ने मंदिरों में जाकर शिवलिग पर दूध गंगाजल व शहद से अभिषेक किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 12:08 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 12:08 AM (IST)
दूसरे सोमवार को मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु
दूसरे सोमवार को मंदिरों में उमड़े श्रद्धालु

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पुरकाजी में सावन माह के दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ शिव मंदिरों में उमड़ी। कस्बे के अलावा फलौदा, खाईखेड़ी, भैसानी, मांडला व धमात आदि गांवों में बुजुर्ग, महिला, पुरुष व युवक-युवतियों ने मंदिरों में जाकर शिवलिग पर दूध, गंगाजल व शहद से अभिषेक किया। फल व फूल व बेल-पत्र अर्पित किए। मंदिरों में प्रार्थना कर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। घरों में भी आराध्य भगवान शंकर की पूजा की गई तथा काफी लोगों ने व्रत रखे। सावन होने के चलते उत्तराखंड से दिनभर रुक-रुककर कांवड़िए आते नजर आए। सुरक्षा को लेकर मंदिरों पर पुलिस भी गश्त करती नजर आई। शिवालयों में किया जलाभिषेक

भोपा में श्रावण मास के दूसरे सोमवार को क्षेत्र के शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिनभर लगी रही। शिवभक्तों ने व्रत रखकर शिवजी की पूजा-अर्चना कर शिवलिग पर जलाभिषेक किया। इस दौरान कई मंदिरों पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

सिद्धपीठ प्राचीन जुड़ेश्वर महादेव मंदिर-ककराला पर सोमवार सुबह ही श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। छछरौली, वजीराबाद, ककराला, भोपा व मोरना आदि गांवों से आए महिला-पुरुष श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा कर शिवलिग पर जल चढ़ाया। सिद्धपीठ नीलकंठ महादेव मंदिर-फिरोजपुर में शिवलिग पर जल चढ़ाने को शिवभक्तों की भीड़ दिनभर लगी रही। कस्बा भोकरहेड़ी, ककरौली, बेहड़ा सादात, भोपा, जट मुझेड़ा व वजीराबाद आदि के शिव मंदिरों में जलाभिषेक किया गया। तीर्थनगरी शुकतीर्थ में गंगा घाट पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान कर शुकदेव मंदिर, हनुमद्धाम, शिवधाम, श्रीविश्वनाथ महादेव, दंडी आश्रम आदि में शिवजी की पूजा कर जलाभिषेक किया। शिवधाम में पंडित ध्रुवदत्त शास्त्री ने बेल-पत्र, भांग, धतुरा, दूध, दही व शहद से भगवान शिव का विशेष रुद्राभिषेक संपन्न कराया। इस दौरान कई मंदिरों पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

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