आपदा में लोगों को जरूरत का पाठ पढ़ा रहीं दीपा
महामारी के संकट में पीड़ितों को संवेदना और मानवता का सहारा मिल रहा है। दवाओं के साथ तीमारदारी के लिए उठ रहे हाथों में जिदगी की अनमोल सांसें थमने से बच रही हैं। नारी शक्ति भी आपदा में दोहरा कर्तव्य निभा रही है। शहर की शिक्षिका ने लोगों का दर्द देखा तो वह सेवा के लिए तीमारदार बन गई। रिश्तेदार की आक्सीजन की कमी से मौत होने के बाद दूसरों का सांस दिलाने में जुट गई ताकि कोई घर आपदा का शिकार होने से बच जाए।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। महामारी के संकट में पीड़ितों को संवेदना और मानवता का सहारा मिल रहा है। दवाओं के साथ तीमारदारी के लिए उठ रहे हाथों में जिदगी की अनमोल सांसें थमने से बच रही हैं। नारी शक्ति भी आपदा में दोहरा कर्तव्य निभा रही है। शहर की शिक्षिका ने लोगों का दर्द देखा तो वह सेवा के लिए तीमारदार बन गई। रिश्तेदार की आक्सीजन की कमी से मौत होने के बाद दूसरों का सांस दिलाने में जुट गई, ताकि कोई घर आपदा का शिकार होने से बच जाए। मानवता के लिए दौड़ रहीं शिक्षिका दीपा
शहर की गांधी कालोनी निवासी दीपा सोनी एसडी गर्ल्स इंटर कालेज में संगीत संकाय की अध्यापिका हैं। 18 व 19 अप्रैल को चुनावी ड्यूटी निभाई। इसके बाद बीमार पड़ीं तो दर्द को गहराई से समझने का मौका मिला। इसी बीच एक रिश्तेदार की आक्सीजन की कमी से मृत्यु हो गई। दीपा बताती हैं कि उनके यहां कार्य करने वाली मेड की मां की तबीयत अचानक खराब हो गई। आक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी मची थी। ऐसे समय में दीपा सोनी ने गाजियाबाद अपने मायके से दो आक्सीजन सिलेंडर व फ्लो मीटर उपलब्ध कराए। अथक प्रयास के बाद भी मेड की मां नहीं बच पाई। इससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा। तभी निर्णय किया कि आपदा काल में पीड़ितों की सेवा करेंगी। वह बताती हैं कि अब तक करीब 20 से अधिक लोगों को अपने खर्च पर आक्सीजन सिलेंडर दिला चुकी हैं।
दवा के साथ पहुंचाई राहत सामग्री
दीपा सोनी बताती हैं कि आक्सीजन सिलेंडर के लिए उन्होंने खुद भाग-दौड़ की है। इसके अलावा पीड़ितों को होम्योपैथिक की दवाइयों का वितरण किया है। मलिन बस्ती पहुंचकर लोगों की स्थिति देखी। लाकडाउन में उभरे आर्थिक तंगी के हालातों को देखकर पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित कराई। दीपा सोनी मदर टेरेसा को अपना आदर्श मानती हैं। वह अपने बेटे और बेटी को तमाम जीवन निर्धन और कमजोर लोगों की मदद करने की प्रेरणा देती हैं।