खेत में गोवंश, रखवाली पर किसान
बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वैसे तो मौसम चाहे कोई भी हो अन्नदाता का अधिकांश समय खेतों में गुजरता है लेकिन घर पर विश्राम का समय भी खेतों में गोवंश की रखवाली में गुजर रहा है।
मुजफ्फरनगर, जागरण टीम। बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाना किसानों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। वैसे तो मौसम चाहे कोई भी हो, अन्नदाता का अधिकांश समय खेतों में गुजरता है, लेकिन घर पर विश्राम का समय भी खेतों में गोवंश की रखवाली में गुजर रहा है। शासन-प्रशासन के तमाम दावे धरातल पर दम तोड़ रहे हैं। जनपद में केवल 33 गोशालाओं में ही पशुओं के खाने-पीने और रखने की व्यवस्था है। यह व्यवस्था अल्प बजट के चलते रामभरोसे चल रही है।
बेसहारा पशु किसानों की गन्ने, गेहूं, सरसों और सब्जी की फसल उजाड़ रहे हैं। फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों पर झोपड़ी डालकर रात-दिन रखवाली कर रहे हैं। कुछ किसानों ने फसलों को बचाने के लिए तारबंदी भी की है, लेकिन यह कारगर नहीं है। खादर क्षेत्र में तो गन्ने की फसल भी चौपट कर दी गई है। किसान सभी खेतों में रखवाली भी नहीं कर सकता है।
जनपद की 498 ग्राम पंचायतों में केवल 33 गोशालाएं और कान्हा स्थल हैं। इनमें 3780 बेसहारा पशु हैं। प्रति पशु 30 रुपये चारा, भूसा और रखरखाव के शासन से मिलते हैं। इतने अल्प बजट में कोई भी ग्रामीण गोशालाओं में व्यवस्था बनाने को तैयार नहीं है। जो गोशालाएं चल रही हैं, वह नगर पालिका और नगर पंचायतों के संरक्षण में चल रही हैं। हजारों पशु गलियों और खेतों में घूम रहे हैं। हाईवे समेत मुख्य मार्गो पर अचानक बेसहारा गोवंश आने से कई हादसे हो चुके हैं।
भोपा व ककरौली थाना क्षेत्र के गंगा खादर के बिहारगढ़, इलाहाबास, शुकतीर्थ, फिरोजपुर, बहुपुरा, मोरना, भुवापुर, दरियाबाद, मीरावाला, खरपौड़ के अलावा पुरकाजी, खतौली, शाहपुर, बुढ़ाना, छपार, रामराज, मीरापुर आदि क्षेत्रों में बेसहारा पशु खेतों में घूम रहे हैं।
एडीएम प्रशासन अमित सिंह का कहना है कि बेसहारा पशुओं के लिए गोशालाएं बनाई गई हैं। कई गोशालाओं का निर्माण चल रहा है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, बीडीओ, ईओ और सचिवों को बेसहारा पशुओं के रखरखाव के लिए निर्देश दिए गए हैं। बेसहारा पशुओं से परेशानी में अन्नदाता
किसान ओमपाल सिंह का कहना है कि बेसहारा पशुओं का नुकसान इतना बढ़ गया है कि उसने 15 बीघा ईख की फसल छिलाई की तो उसमें काफी कम गन्ना निकला है।
किसान पप्पू चौहान का कहना है कि बेसहारा पशुओं को खेतों में घुसने से रोकने के लिए तारबंदी कराई थी। भूखे पशु तार को तोड़कर अंदर घुस जाते हैं। पशुओं के चरने और पैरों से गन्ना व गेहूं की फसल नष्ट हो गई।
किसान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए खेत पर झोपड़ी व मचान डालकर रखवाली करनी पड़ रही है। फसल बर्बाद होने से आर्थिक तंगी में हैं।