बजट के इंतजार में अटका बाल संप्रेक्षण गृह निर्माण
शहर के आर्यपुरी स्थित राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह के पुराने भवन को ध्वस्त हुए दो वर्ष बीत गए लेकिन अभी तक नए भवन का निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। निर्माण के लिए आई पहली किश्त अधिकारियों ने खत्म कर दी जबकि आधे से ज्यादा कम अभी अधूरा पड़ा है। भवन का निर्माण कार्य पूरा न होने से पहले ही गौतमबुद्धनगर में स्थानांतरित बच्चें तो वहां रह ही रहे हैं। वहीं दो वर्षों से कोर्ट से अन्य मामले के बच्चें भी अन्य जनपदों भेजे जा रहे हैं। दरअसल शहर के आर्यपुरी की मुख्य सड़क पर
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। शहर के आर्यपुरी स्थित राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह के पुराने भवन को ध्वस्त हुए दो वर्ष बीत गए, लेकिन अभी तक नए भवन का निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। निर्माण के लिए आई पहली किस्त अधिकारियों ने खत्म कर दी, जबकि आधे से ज्यादा कम अभी अधूरा पड़ा है। भवन का निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से पहले ही गौतमबुद्धनगर में स्थानांतरित बच्चे तो वहां रह ही रहे हैं। वहीं दो वर्षों से कोर्ट से अन्य मामले के बच्चे भी अन्य जनपदों में भेजे जा रहे हैं।
शहर के आर्यपुरी की मुख्य सड़क पर बाल बंदियों के लिए बनी राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह (बच्चा जेल) का स्थान कम पड़ने के कारण उसे तोड़कर दो मंजिला बनाए जाने की कार्य योजना तैयार हुई थी। शासन से योजना को हरी झंडी मिलने के बाद करीब 2016 जनवरी में बाल संप्रेक्षण गृह के पुराने भवन को ध्वस्त करा दिया गया था। इसके बाद निर्माण को आए 25 लाख 47 हजार रुपये से निर्माण कार्य शुरू हुआ। इस धनराशि से पहली मंजिल भी ठीक से जिला प्रोबेशन विभाग तैयार नहीं कर पाया। अभी तक पहली मंजिल का लिटर और दीवारें ही खड़ी की गई है। 6 महीने से अधिक समय से भवन का निर्माण कार्य रुका पड़ा है। डीपीओ ने भवन का निर्माण कार्य रुकने पर दूसरी किस्त की डिमांड भेजी है। करीब 15 लाख 33 हजार रुपये की डिमांड शासन को विभाग से गई है। बता दें कि मुजफ्फरनगर के करीब 16 बाल बंदी गौतमबुद्धनगर के राजकीय बाल संप्रेक्षण में भेज गए थे, जो निर्माण कार्य पूरा नहीं होने से अभी वहीं बंद है। जिला प्रोबेशन अधिकारी मोहम्मद मुश्फेकिन ने बताया कि निर्माण कार्य जल्द ही पूरा कराने की तैयारी है। शासन में धनराशि की डिमांड भेजी है। लगभग दूसरी किस्त की धनराशि स्वीकृत भी हो चुकी है।