स्कूल खुले पर बच्चे नदारद

भले ही सरकार ने कक्षा 10 से 12 तक के बच्चों को स्कूल भेजने के आदेश दे दिए हो लेकिन जानसठ में स्कूलों में बच्चों की उपस्थित न के बराबर है। अभिभावक कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं जिसके चलते बच्चों को अपने एक साल खराब होने की चिता सता रही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 07:03 PM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 07:03 PM (IST)
स्कूल खुले पर बच्चे नदारद
स्कूल खुले पर बच्चे नदारद

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। भले ही सरकार ने कक्षा 10 से 12 तक के बच्चों को स्कूल भेजने के आदेश दे दिए हो, लेकिन जानसठ में स्कूलों में बच्चों की उपस्थित न के बराबर है। अभिभावक कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल भेजने से डर रहे हैं, जिसके चलते बच्चों को अपने एक साल खराब होने की चिता सता रही है।

सरकार ने 23 नवंबर से भले ही कक्षा दस व बारह के बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल खोल दिए हों, लेकिन बच्चों की उपस्थित न के बराबर है। इसके चलते स्कूल संचालक के साथ ही बच्चों को भी परेशानी का सामना करना पड रहा है। बच्चों को अपना साल खराब होने का खतरा सताने लगा है। सीबीएसई के बच्चों को तो आनलाइन क्लास भी दी जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूल के बच्चों की इस साल की पढ़ाई कोरोना की भेट चढ़ गई है। कक्षा दस की छात्रा अहाना, सोनाक्षी, शानवी, केशव, कनिष्का व प्रियांशु आदि ने बताया कि वह सीबीएसई के कक्षा दस के छात्र हैं। कोरोना के चलते एक दिन भी स्कूल नहीं जा पाए हैं, जिसके कारण उनकी परीक्षा की तैयारी भी ठीक से नहीं हो पाई है। कोर्स पूरा करने के लिए आनलाइन कक्षा के साथ साथ आनलाइन ट्यूशन भी लेना पड़ रहा है। एंबियंस स्कूल के प्रबंधक भावेश गुप्ता ने बताया कि उनके स्कूल में कक्षा नौ व दस के करीब 150 बच्चे हैं, लेकिन स्कूल खुलने के बाद भी मात्र दस-बीस बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैं। डीएवी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य समुंद्र सेन ने बताया कि उनके स्कूल में कक्षा नौ से लेकर बारह तक करीब 1200 बच्चे हैं। स्कूल खुलने के बाद भी बच्चों की उपस्थिति न के बराबर है। उन्होंने बताया कि वह बच्चों के अभिभावकों को फोन करके बच्चों को स्कूल भेजने के लिए समझा रहे हैं। ट्यूशन पढ़ाने वालों की चांदी

कस्बे में ट्यूशन पढाने वालों की चांदी कटी हुई है। वह बच्चों की मजबूरी का फायदा उठाकर खूब टयूशन पढ़ा रहे हैं। एक-एक टीचर के पास करीब तीन सौ बच्चे तक ट्यूशन पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं वह बच्चों से फीस भी मनमानी वसूल कर रहे हैं। बच्चे अपना साल बचाने के लिए ट्यूशन लगाने पर मजबूर हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों को तो आनलाइन पढाई की भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।

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