विजयादशमी को लेकर बच्चों ने दी मनमोहक प्रस्तुतियां
दून वैली प्रांगण में विजयदशमी का पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग लिया। छोटे-छोटे बच्चे भगवान राम सीता व हनुमान की वेशभूषा में विद्यालय पहुंचे और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। दून वैली प्रांगण में विजयदशमी का पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। विद्यार्थियों ने इस कार्यक्रम में बढ़चढ़कर भाग लिया। छोटे-छोटे बच्चे भगवान राम, सीता व हनुमान की वेशभूषा में विद्यालय पहुंचे और मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ जसवीर कौर और मिस ईवा ने किया। इस अवसर पर बच्चों को विजयादशमी पर्व की विशेषता बताई। बच्चों ने अनेक प्रस्तुतियां दीं, जिसमें कहानी, कविताएं, नृत्य नाटिका व दोहे आदि सम्मिलित रहे। प्रधानाचार्य सीमा शर्मा ने सभी विद्यार्थियों को दशहरा पर्व के बारे में समझाया कि दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। बताया कि जब जब धरती पर पाप बढ़ता है उसको नष्ट करने के लिए भगवान को प्रकट होना पड़ता है। वहीं बताया कि दशहरा पर्व के पूजन पर पूरा परिवार एकसाथ बैठकर दशहरा पूजता है। परंपरा के अनुसार सोना, चांदी, अनाज, घी व शक्कर आदि की कीमत लिखी जाती है।
नवमी पर व्रत का किया पारायण
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। खतौली में नौ दिन चले शारदीय नवरात्र महोत्सव का गुरुवार को समापन हो गया। श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की। नवमी पर सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। मां दुर्गा सांझी की पूजा की गई। सुबह पकवान बनाए गए तथा श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। इसके बाद कन्याओं को जिमाकर व्रत का पारायण किया। कन्याओं को प्रसाद व उपहार भेंट किए गए। दोपहर बाद मां दुर्गा सांझी की प्रतिमा को नहर और जलाशयों में विसर्जित किया गया। महिला मंडली ने मंदिरों में भजन-कीर्तन से माता भगवती का गुणगान किया।
शारदीय नवरात्रों का समापन
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। पुरकाजी में शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन गुरुवार को घरों में देवी मां की आराधना की गई। मां दुर्गा को समर्पित नौ दिन तक चलने वाले इस पर्व के आखिरी दिन माता के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की गई। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। घरों के भीतर कन्याओं को जिमाया गया। भोजन करने वाली कन्याओं को उपहार व दक्षिणा दी गई। क़रीब आठ दिन से व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं ने कन्याओं को भोजन कराने के बाद अपने उपवास खोले। इसके साथ ही लोग इंटरनेट मीडिया और वाट्सएप के जरिए अपने प्रियजनों और सगे-संबंधियों को शुभकामना संदेश भेजते न•ार आए।