रामलीला मैदान में बजेगा भाकियू का रणसिघा

कृषि कानून और पंजाब-हरियाणा के किसानों पर वाटर कैनन व लाठीचार्ज के विरोध व कुछ अन्य मांगों को लेकर यूपी-दिल्ली बार्डर (यूपी गेट) पर भाकियू ने डेरा डाल रखा है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बताया कि किसान तब तक सड़कों पर रहेगा जब तक सरकार रामलीला या प्रगति मैदान में जाने की अनुमति नहीं देती। किसान आर-पार की लड़ाई के लिए इस बार दिल्ली आया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 09:54 PM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 09:54 PM (IST)
रामलीला मैदान में बजेगा भाकियू का रणसिघा
रामलीला मैदान में बजेगा भाकियू का रणसिघा

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कृषि कानून और पंजाब-हरियाणा के किसानों पर वाटर कैनन व लाठीचार्ज के विरोध व कुछ अन्य मांगों को लेकर यूपी-दिल्ली बार्डर (यूपी गेट) पर भाकियू ने डेरा डाल रखा है। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बताया कि किसान तब तक सड़कों पर रहेगा, जब तक सरकार रामलीला या प्रगति मैदान में जाने की अनुमति नहीं देती। किसान आर-पार की लड़ाई के लिए इस बार दिल्ली आया है।

यूपी-दिल्ली बार्डर पर डटे किसानों से दोनों प्रदेश के आला अधिकारी लगातार वार्ता के प्रयास कर रहे हैं। राकेश टिकैत ने दूरभाष पर बताया कि आखिर किसानों को अपने देश की राजधानी में जाने से क्यों रोका जा रहा है? किसान शांति और समृद्धि चाहता है, लेकिन सरकार उग्र होने पर मजबूर कर रही हैं। जब किसान कृषि कानून को पंसद नहीं कर रहा है तो सरकार जबरन क्यों थोप रही है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कृषि कानून वापस नहीं करती तो संशोधन करे। साथ ही किसानों को वार्ता के लिए रामलीला मैदान या प्रगति मैदान में जाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में बाबा रामदेव और समाजसेवी अन्ना हजारे को इन मैदान में धरने की अनुमति दी गई थी, फिर अन्नदाता को अनुमति देने में क्या दिक्कत है। इस बार किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। मांगें पूरी होने पर ही वापस घरों को जाएंगे।

ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें

- कृषि कानून वापस हो या फिर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को कानून बनाया जाए।

- किसान हित में तीनों कृषि कानून में संशोधन किया जाए।

- मंड़ी टैक्स बंद हो, यदि वसूला जाए तो मंडी के बाहर भी लागू हो, इससे मंडियों का अस्तित्व बचेगा।

- कांटेक्ट फार्मिग में ग्रेडिग व्यवस्था नहीं होनी चाहिए।

- किसानों को किसी भी फसल की प्रजाति के लिए बाध्य न किया जाए।

- प्राकृतिक आपदा में किसानों को फसल का मुआवजा दिया जाए।

- किसानों को कोर्ट जाने की पावर दी जाए।

- महंगाई के हिसाब से किसानों की फसल में साल-दर-साल वृद्धि की जाए।

- पराली जलाने वाले किसानों पर न जुर्माना लगे और न ही उन्हें जेल भेजा जाए।

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