आस्था का केंद्र है बालकराम शिव मंदिर
मुजफ्फरनगर जेएनएन। छपार क्षेत्र के बसेड़ा गांव के मेन बाजार में स्थित बाबा बालकराम शिव मंदिर प्र
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। छपार क्षेत्र के बसेड़ा गांव के मेन बाजार में स्थित बाबा बालकराम शिव मंदिर प्राचीनकाल से ही श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर में प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक कर उनकी पूजापाठ करते हैं। सावन माह की शिवरात्रि पर दिनभर मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। आसपास के गांवों के लोग और दूर-दराज से भी शिवभक्त शिवलिग पर रुद्राभिषेक करने आते हैं। मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। उनकी मनोकामना आवश्य ही पूर्ण होती है।
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मंदिर का इतिहास
बाबा बालमकराम शिव मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। लगभग 250 वर्ष पूर्व बसेड़ा के ही लाला बालकराम उर्फ मारुख ने अपनी जमीन में ही निर्माण कराया। शुरुआत में केवल शिवलिग की ही स्थापना हुई। परंतु धीरे-धीरे वहां पर ग्रामीणों के सहयोग से शिव परिवार का स्थापना हुई। 2014 में लाला बालकराम के वंशज रुपचंद ने मंदिर का जीणोद्धार कराया। और मंदिर को भव्य रूप दिया गया। उनके मंदिर के चारों कोनों पर हनुमान, राधाकृष्ण, काली माता व दुर्गा माता के मंदिर का निर्माण भी कराया। इसके अलावा वहां पर गणेश, नंदी, भैरव की मूर्तियां भी स्थापित है। मंदिर परिसर में कुआं भी है, जिसके ऊपर लोहे की जाली लगाकर बंद किया गया है।
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मंदिर की विशेषता
सिद्धपीठ होने से शिवालय की प्रसिद्धि दूर तक फैली है। सावन मास में प्रतिदिन हजारों लोग यहां भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने आते है। सावन मास के प्रत्येक सोमवार को मंदिर पर सुबह से ही जलाभिषेक करने वालों की भारी भीड लगी रहती है। शिवरात्रि व मंदिर के स्थापना दिवस 14 फरवरी को यहां पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है। इसमें हजारों शिवभक्त भोजन ग्रहण करते हैं। शिवालय को गांव में बलका वाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती व भजन होते हैं। और समय-समय पर धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। मंदिर में हर वर्ग के श्रद्धालु हर सुबह अपनी-अपनी मनोकामनाओं को लेकर जलाभिषेक करने आते है। मंदिर परिसर में एक धर्मशाला का निर्माण भी कराया गया है, जहां पर ग्रामीण शादी समारोह आयोजित करते हैं।
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मंदिर में प्रतिदिन सुबह-शाम आरती होती है। सावन मास व शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने वाले शिवभक्तों की भीड रहती है। मान्यता है कि जो भक्त शिवलिग पर जलाभिषेक करते हैं। उनके बिगडें काम भी बन जाते हैं।
- पंडित अमित डमरी, पुजारी
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श्रद्धा व भक्ति भाव से जो भी श्रद्धालु मंदिर में आकर मनौतियां मांगता है, भगवान आशुतोष मनोकामना पुरी करते है। मंदिर में जलाभिषेक करने वाले के संकट दूर हो जाते है।
- दिनेश शर्मा श्रद्धालु