आमजन की पहुंच से कोसों दूर एंबुलेंस का किराया

कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए प्रशासन ने जो किराया निर्धारित किया गया है वह आमजन की पहुंच से कोसों दूर है। आक्सीजन युक्त एंबुलेंस का किराया 10 किमी तक एक हजार रुपये और इससे अधिक पर 100 रुपये प्रति किमी तय किया गया है। इस लिहाज से मरीज को मेरठ ले जाने और वापस लाने में 12 हजार रुपये से अधिक खर्च होंगे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 11:10 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 11:10 PM (IST)
आमजन की पहुंच से कोसों दूर एंबुलेंस का किराया
आमजन की पहुंच से कोसों दूर एंबुलेंस का किराया

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए प्रशासन ने जो किराया निर्धारित किया गया है, वह आमजन की पहुंच से कोसों दूर है। आक्सीजन युक्त एंबुलेंस का किराया 10 किमी तक एक हजार रुपये और इससे अधिक पर 100 रुपये प्रति किमी तय किया गया है। इस लिहाज से मरीज को मेरठ ले जाने और वापस लाने में 12 हजार रुपये से अधिक खर्च होंगे।

प्रशासन ने किमी के आधार पर कोरोना संक्रमित को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किराया तय किया है। आक्सीजन रहित एंबुलेंस के लिए 10 किमी तक 800 रुपये और इसके अधिक दूरी पर प्रति किमी 50 रुपये तय किए गए हैं। आक्सीजन युक्त एंबुलेंस में 10 किमी तक एक हजार और इससे अधिक दूरी पर प्रति किमी 100 रुपये लिए जाएंगे। वेंटीलेटर युक्त एंबुलेंस में 10 किमी तक 1500 रुपये और इससे अधिक दूरी पर प्रति किमी के आधार पर 150 रुपये तय किए हैं।

वहीं, यदि शव यात्रा में एंबुलेंस का प्रयोग किया जाता है तो 10 किमी तक 500 रुपये लिए जाएंगे। इससे अधिक दूरी पर प्रति किमी 50 रुपये लिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त एक से दूसरे स्थान पर मरीज को शिफ्ट करने के लिए 400 रुपये किराया निर्धारित किया गया है। प्रशासन की ओर से निर्धारित किए गए इस किराए से एंबुलेंस चालकों-स्वामियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा या नहीं, लेकिन यह किराया आमजन की पहुंच से दूर है।

नई मंडी निवासी विवेक कुमार का कहना है कि तय किया गया किराया पांच गुणा है। मेरठ में यदि मरीज को ले जाना पड़ जाए तो आने-जाने का करीब 120 किमी. बैठता है। ऐसे में आक्सीजन युक्त एंबुलेंस का किराया 12 हजार से अधिक बैठेगा। वहीं, वेंटीलेटर सपोर्टेड एंबुलेंस का किराया तो 20 हजार से अधिक बैठ जाएगा। प्रशासन से मांग है कि इसमें कटौती की जाए। भाकियू व रालोद समेत विभिन्न संगठनों ने भी इसमें कटौती की मांग की है।

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