पुलिस पर पैरवी न करने का दबाव बनाने का आरोप
मुठभेड़ कर बदमाशों को सलाखों में कैद करने वाली पुलिस एक मामले में स्वयं कठघरे में खड़ी हो गई है। बीकाम के छात्र ने अपने पिता और चाचा की जमानत याचिका की पैरवी करने पर पुलिस के दबाव बनाने का आरोप लगाया है। पीड़ित छात्र ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में कहा है कि मुकदमों की पैरवी नहीं करने के लिए पुलिस धमका रही है। आशंका जताई की पुलिस उसे किसी मुकदमे में फंसा सकती है।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। मुठभेड़ कर बदमाशों को सलाखों में कैद करने वाली पुलिस एक मामले में स्वयं कठघरे में खड़ी हो गई है। बीकाम के छात्र ने अपने पिता और चाचा की जमानत याचिका की पैरवी करने पर पुलिस के दबाव बनाने का आरोप लगाया है। पीड़ित छात्र ने मुख्यमंत्री को भेजी शिकायत में कहा है कि मुकदमों की पैरवी नहीं करने के लिए पुलिस धमका रही है। आशंका जताई की पुलिस उसे किसी मुकदमे में फंसा सकती है।
खतौली कोतवाली क्षेत्र के देवीदास मोहल्ले के रहने वाले चरणजीत सिंह पुत्र राजू ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी है, जिसमें कहा कि उसके पिता राजू एक मुकदमे में जिला कारागार में निरुद्ध हैं, जबकि उसके चाचा गौरव उर्फ गौरा भी एक वर्ष से नारकोटिक्स के मामले में जेल में बंद हैं। वह दोनों की जमानत के लिए पैरवी कर रहा है। इसके लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक गुहार लगाई है। चरणजीत ने बताया कि वह मेरठ के ज्ञान भारती कालेज में बीकाम का छात्र है। आरोप है कि खतौली पुलिस उसे मुकदमों की पैरवी करने से रोक रही है। जमानत के अभिलेखों के आधार पर हाईकोर्ट ने मामले में डीजीपी और एसएसपी मुजफ्फरनगर को तलब किया है, जिसके चलते पुलिस उसे परेशान कर रही है। छात्र ने आशंका जताई है कि पुलिस उसे किसी मुकदमे में फंसा सकती है। उधर, पुलिस मामले को लेकर सक्रिय हो गई है। गौरव उर्फ गौरा का आपराधिक रिकार्ड खंगाला जा रहा है। पुलिस रखेगी अपना पूर्ण पक्ष
सीओ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि देवीदास के रहने वाले गौरव उर्फ गौरा का आपराधिक रिकार्ड थाने में उपलब्ध है। वर्ष 1997 में वह अपराध कर रहा है। थाने में तैनात रहे विभिन्न प्रभारी निरीक्षक ने लोगों की शिकायत, जांच-पड़ताल के आधार पर गौरा के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। हाईकोर्ट में पुलिस अपना पूर्ण पक्ष रखेगी। स्वजन पर मुकदमों में पैरवी करने से रोकने के मामले में कोई दबाव या परेशान नहीं किया गया है। पुलिस पर यह आरोप पूर्ण रूप से निराधार है। 23 साल में 49 मुकदमे हुए दर्ज
पुलिस रिकार्ड के अनुसार गौरव उर्फ गौरा पर पहला मुकदमा वर्ष 1997 में आर्म्स एक्ट का लिखा गया। उसके बाद उसके खिलाफ बलवा करने, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट के 23 वर्ष में 49 मुकदमे दर्ज किए गए हैं।