हादसा या हत्या, अनसुलझे सवालों में घिरा घटनाक्रम
रतनपुरी में गंग नहर से मिली कार में शव शिनाख्त तो हो गई है लेकिन कई राज अभी दफन हैं। शव कार में जिस तरह से फंसा मिला है उससे साफ है कि मृतक अकेला नहीं था। वह स्वयं ड्राइव कर रहा था तो पिछली सीट पर कैसे पहुंचा।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। रतनपुरी में गंग नहर से मिली कार में शव शिनाख्त तो हो गई है, लेकिन कई राज अभी दफन हैं। शव कार में जिस तरह से फंसा मिला है, उससे साफ है कि मृतक अकेला नहीं था। वह स्वयं ड्राइव कर रहा था तो पिछली सीट पर कैसे पहुंचा। नई मंडी से चलने के बाद जानसठ रोड पेट्रोल पंप, मंसूरपुर और भैंसी गांव तक उसकी लोकेशन मिली है। उसके बाद कार और दिलशाद का कुछ पता नहीं चल सका है।
तितावी के धनसैनी गांव निवासी नितिन कुमार ने दिल्ली के अशोक विहार एनक्लेव के रहने वाले अंकुर ठाकुर से सितंबर में कार खरीदी थी। कार फाइनेंस पर थी, जिस कारण आरसी में नाम परिवर्तन नहीं हो सका। यह कार स्वास्थ्य विभाग के आरबीएस विभाग में चल रही थी। इस कार को कुछ समय के लिए नितिन के चचेरे भाई सचिन कुमार ने चलाया था। 16 जनवरी को दिलशाद धनसैनी गांव अपनी बोलेरो गाड़ी खड़ी कर नितिन की कार कूकड़ा मंडी में अपने भाई के यहां ले गया था। कूकड़ा मंडी से रात्रि 12 बजे के बाद कार लेकर दिल्ली के लिए चला था। दिल्ली एयरपोर्ट से उसे सऊदी अरब से आए परिचित को लाना था। जानसठ रोड पर एक पेट्रोल पंप पर सीएनसी भरवाने की फुटेज है, जबकि मंसूरपुर में हाईवे से गुजरने और भैंसी गांव में पहुंचने की उसकी फुटेज मिली है। उसके बाद कोई लोकेशन नहीं है। यहीं से घटनाक्रम में अनसुलझे सवाल खड़े हो गए हैं। यदि वह अकेला था, तो शव पिछली सीट पर कैसे पहुंच गया है। कार में स्वास्थ्य विभाग की एक फाइल के साथ सचिन कुमार पुत्र मुकेश कुमार नाम का ड्राइविग लाइसेंस मिला है। कार के लापता होने पर स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में नहीं आया, जबकि पाजिटिव और सेल्फ आइसोलेट का वर्ष 2020 का रिकार्ड इसमें मिला है। ऐसे में दिलशाद के साथ हादसा हुआ है या अनहोनी हुई है। पुलिस की जांच के साथ लोगों की जुबां पर यह सवाल तैर गए हैं।