मुरादाबाद मेंं युवा अपने खर्च से करा रहे सड़कों की मरम्मत, कहते हैं-अस्पताल से बेहतर है हम यहां खर्च कर दें
Youths of Moradabad Repairing Roads नेकी कर गड्ढे में डाल। जी हां अफसरों को नींद से जगाने वाला कार्य। युवाओं की टोली शहर के गड्ढों को रात में भरने के लिए रोजाना निकल रही है। अपने पैसे से जानलेवा गड्ढों को भरने का संकल्प युवाओं ने लिया है।
मुरादाबाद, जेएनएन। Youths of Moradabad Repairing Roads : नेकी कर गड्ढे में डाल। जी हां, अफसरों को नींद से जगाने वाला कार्य। युवाओं की टोली शहर के गड्ढों को रात में भरने के लिए रोजाना निकल रही है। अपने पैसे से जानलेवा गड्ढों को भरने का संकल्प युवाओं ने लिया है। अब तक पीलीकोठी से राष्ट्रीय राज मार्ग के कटघर थाने तक चार किमी के रास्ते में करीब 50 गड्ढे सीमेंट, बजरी और बजरफुट के मिश्रण से भर चुके हैं। करीब 12500 रुपये इस सड़क के गड्ढों को भरने पर अपनी जेब से खर्च किया। सोच भी ऊंची है कि जितने गहरे गड्ढे शहर में हैं, उससे घायल हुए तो 12500 रुपये नहीं 12.50 लाख रुपये खर्च करके भी स्वस्थ हो जाए तो गमीनत मानिए।
इसलिए गड्ढों को ही कम खर्च में भरा जाए। नेकी कर गड्ढे में डाल अभियान से आशय है कि जिस तरह गरीबों को भोजन खिलाकर नेकी करते हैं, उसी तरह शहर के गड्ढों में आर्थिक मदद करके नेकी की जाए। शहर की गलियों से मुख्य मार्ग तक गड्ढों में तब्दील हैं। नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के पास प्रधानमंत्री सड़क योजना, सड़क सुधार योजना, 15वित्त योजना, राज्य वित्त योजना, अवस्थापना समेत कई मदों में धनराशि आती है लेकिन, सड़क की सड़कों की मरम्मत का कार्य इस त्योहारी सीजन में नहीं किया गया। इन अफसरों को सीख लेनी चाहिए और उपकार मानना चाहिए कि जो हम नहीं कर पाए वह युवाओं ने निस्वार्थ डाला।
बाइक से बच्चा उछला तब आया विचार : मनीष गोयल यह बिना किसी स्वार्थ के सड़क बनवाने के जुटे हैं। इनकी आंखों देखी है कि मुरादाबाद क्लब के पास सड़क के गड्ढे में बाइक का पहिया जाने से नीचे गिर गया। गनीमत रही कि किसी वाहन ने नहीं रौंदा। तभी प्रण लिया कि नगर निगम व पीडब्ल्यूडी से उम्मीद की बजाय स्वयं गड्ढे भरेंगे। इन्होंने अपनी जेब से पहले दिन पीलीकोठी से कटघर थाने तक के गड्ढे भरने के लिए सीमेंट, बजरी व बजरफुट खरीदा। इस पर मात्र 12500 रुपये खर्च आए और करीब 50 गड्ढे भरे। रात में 11 बजे जब आवाजाही कम होती है तो यह टीम निकलती है। मजदूरों के साथ मिलकर गड्ढे भरते हैं। मजदूरी भी स्वयं देते हैं। मनीष गोयल ज्वैलर्स हैं और इससे पहले वह साइबर गैंग को पकड़वाने में प्रकाश में आए थे। कोरोना काल में बिना प्रचार प्रसार किए प्लाज्मा दान करवाया और इससे पूर्व रक्तदान शिविर भी लगाए।
कार का एक्सल गड्ढे से टूटा तब उठाया गड्ढा भरने को कदम : युद्धवीर सिंह चौहान यह कोई बड़े व्यापारी नहीं है। लेकिन, सोच बड़ी है। गड्ढे में टकराकर जब कार का एक्सल टूटा और उस पर खर्च 7500 रुपये आया। तब विचार आया कि जिस गड्ढे से टकराकर कार का एक्सल टूटने पर 7500 रुपये खर्च हो गए,उसे भरने में पांच सौ रुपये का ही खर्चा आएगा। तब शहर के गड्ढों को भरने का प्लान बनाया गया। रविवार की रात को अकबर किला के सामने वाली सड़क के गड्ढों को भरने युवा टोली निकलेगी। वाणिज्य कर कार्यालय तक करीब 800 मीटर सड़क को गड्ढा मुक्त करेंगे। इस सड़क पर एक साल से चलना मुश्किल है।
गड्ढे भरने को जारी किया हेल्प लाइन नंबर : गड्ढे भरने को अब हेल्प लाइन नंबर जारी किया है। इस हेल्प लाइन नंबर पर अपने गड्ढों की जानकारी देंगे तो गड्ढे भरने में युवाओं की टीम सहयोग करेगी। इसके साथ एक प्लानिंग यह भी बनाई है कि जिसके घर के सामने का गड्ढा हो उनसे उस गड्ढे को स्वयं भरने को लेकर जागरूक करेंगे। जिससे कम खर्च में अधिक गड्ढे भरने में सफलता मिलेगी। हेल्प लाइन नंबर-9410689823, 9927079527 जारी किए हैं।