World Family Day : मुरादाबाद के इस संयुक्त परिवार के यहां खुद चलकर घर आती है लक्ष्मी, जानिए क्या है वजह
जिस घर में सुनाई दे बुजुर्गों की खांसी जिस घर में नजर आए बुजुर्गों की लाठी दरवाजे पर पड़ी हो बच्चों की चप्पल मुस्कुराती दिखाई दे जहां हर शक्ल ऐसे घर में लक्ष्मी खुद चल के आती है सुख-शांति व धन अनंत बरसाती है।
मुरादाबाद, जेएनएन। जिस घर में सुनाई दे बुजुर्गों की खांसी, जिस घर में नजर आए बुजुर्गों की लाठी, दरवाजे पर पड़ी हो बच्चों की चप्पल, मुस्कुराती दिखाई दे जहां हर शक्ल, ऐसे घर में लक्ष्मी खुद चल के आती है, सुख-शांति व धन अनंत बरसाती है। कविता की ये पंक्तियां मंडी चौक के अताई मुहल्ले के टंडन परिवार पर सटीक बैठती हैं। पूर्वजों ने एक ही चूल्हे के संस्कार सिखाए तो आज भी पूरा परिवार एक साथ है। खुशियां, गम सब एक साथ बांटते हैं।
बुजुर्गों के निगरानी का फल है इतने बड़ा परिवार काेरोना संक्रमण से बचा हुआ है। नगर निगम से रिटायर्ड 88 साल के रामनाथ टंडन के पांच बेटे हैं। सबसे बड़े बेटे रविंद्र टंडन, उनकी पत्नी, दो बेटी। एक बेटी की शादी कर दी है। दूसरे राजीव टंडन, उनकी पत्नी, एक बेटा एक बेटी। तीसरे बेटे नवनीत टंडन, उनकी पत्नी, एक बेटा, एक बेटी चौथे बेटे संदीप टंडन, उनकी पत्नी, एक बेटी और सबसे छोटे बेटे कुलदीप टंडन उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं।
पेशे के हिसाब से सभी के काम अलग-अलग हैं। लेकिन पूर्वजों के संस्कार रामनाथ टंडन और उनकी पत्नी ने बच्चों को दिए। सभी एक दूसरे का सम्मान भी करते हैं। घर में एक ही रसोई है और रात को सभी साथ में ही खाना खाते हैं। त्याेहार और शादी ब्याह के मौके पर घर के बच्चों की धमा चाैकड़ी से गूंजता रहता है। इस घर की खुशहाली का राज एक दूसरे सम्मान करना है। परिवार का हर सदस्य पूर्वजों के संस्कार को प्राथमिकता देता है। घर में हर छोटा बड़ा कार्य करने से पहले लिए पहले सबसे सलाह ली जाती है। सर्वसम्मति से सभी निर्णय होते हैं, यही कारण है कि कभी मतभेद नहीं होता।
कोरोना काल में एक-दूसरे की फिक्र कोरोना महामारी में परिवार के सभी सदस्य पिता जी का पूरा ध्यान रखते हैं। बाहर निकलने की मनाही है। दादाजी की सभी पर नजर रहती है। कोई इधर से उधर नहीं हाे सकता। वह कोरोना से बचाव को लेकर सभी जानकारी देेते हैं। आयुर्वेद और योग के साथ देशी नुस्खों से इम्युन पावर बढ़ाने के बारे में सिखाते हैं।
अपने बच्चों को दादा-परदादा के जमाने में संयुक्त परिवार कैसे चलता था। किस तरह सभी के काम पूरे होते थे आदि के बारे में बच्चों को बताया जाता है। अलग रहने का विचार किसी के मन में नहीं आता है। भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि सभी को स्वस्थ रखे और एकसाथ मुट्ठी बनकर रहें। हर सभी के साथ रहकर एक दूसरे की चिंता करने के कारण ही कोरोना संक्रमण से बचे हुए हैं। रामनाथ टंडन, परिवार के मुखिया