रामपुर के नवाबों से आजम खां को थी खुन्नस, कभी किला और गेट तुड़वाने पर थे आमादा, लिखा था पत्र
आजम का नवाब खानदान से हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। उन्होंने जब राजनीति की शुरुआत की तब रामपुर की सियासत में नवाब खानदान का दबदबा था। नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां सांसद थे। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं।
रामपुर (मुस्लेमीन)। Azam against the Nawabs। सांसद आजम खां इस समय अपने बेटे अब्दुल्ला और विधायक पत्नी तजीन फात्मा के साथ सीतापुर जेल में बंद हैं। रामपुर शहर में आजम के बनवाए गेटों और पार्कों के नाम प्रशासन की ओर से बदलवाए जा रहे हैं। ये वे गेट और पार्क हैं जो नवाबों ने बनवाए थे। नवाबों से आजम को इतनी खुन्नस थी कि उनके बनवाए तमाम गेट उन्होंने तुड़वा दिए थे। उनके किले को भी तुड़वाने पर आमादा थे। नवाबों से खुन्नस के प्रमाण उनके द्वारा विभिन्न मंचों से कहे गए बोल देते हैं। मंच से वह किले को गुलामी की निशानी बताते हुए कहा करते थे कि नवाब जुल्म ढाते थे। लोगों को पांचवीं से आगे पढऩे सेे रोककर उनके घरों में रोशनी का रास्ता रोक देते थे।
आजम का नवाब खानदान से हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा। उन्होंने जब राजनीति की शुरुआत की, तब रामपुर की सियासत में नवाब खानदान का दबदबा था। नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां सांसद थे। वह पांच बार सांसद रहे। उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं। उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां पांच बार विधायक चुने गए और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। आजम शुरू से ही नवाबों के खिलाफ बोलते थे। वह जब भी सत्ता में आते नवाब खानदान को निशाना बनाते। उन्होंने नवाबी दौर में बने तमाम गेट जर्जर बताते हुए तुड़वा दिए। किले को तुड़वाने का भी फरमान जारी कर दिया था। इसके लिए 22 नवंबर 2013 को जिलाधिकारी को पत्र भी लिख दिया था। उस समय वह सूबे की सरकार में नगर विकास एवं संसदीय कार्य समेत आठ विभागों के मंत्री थे।
किले को तोड़ने के लिए लिखा था पत्र
आजम ने पत्र में लिखा था कि शहर के बीचोबीच बना किला रामपुर वालों के लिए प्रकोप के तौर पर महसूस किया जा रहा है। धूप और हवा रोक रहा है। इसके दोनों गेट जर्जर हैं, जिससे बड़े हादसे का अंदेशा है। आम लोगों की जान माल का नुकसान हो, इससे पहले ही लोक निर्माण विभाग से जांच कराकर यदि इसे गिराया जाना आवश्यक हो तो इसमें कोई देर न लगाई जाए। उन्होंने यह भी लिखा था कि इस प्रकार की इमारतें अपराध का कारण भी होती हैं। इनके दरवाजों में बनी कोठरियां कुकर्म के लिए जानी जाती हैं।
अदलात ने लगाई थी रोक
किला नवाबों की धरोहर है, इसलिए इसे बचाने के लिए नवाब खानदान ने अदालत की शरण ली। पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां ने कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। तब अदालत ने इसे तोड़ने पर रोक लगा दी। सपा शासनकाल में किले के अंदर दीवारों से सटाकर 61 दुकानें बनवा दी गई थीं, ताकि मार्केट के लिए किले की दीवारें तोड़ी जा सकें। इस मामले में भाजपा की सरकार बनने पर जांच कराई गई तो सरकारी धन का दुरुपयोग पाया गया। इसके लिए तत्कालीन पालिकाध्यक्ष अजहर खां के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। उनसे एक करोड़ 31 लाख की वसूली के लिए भी कार्रवाई की गई। उनके खिलाफ और भी कई मुकदमे दर्ज हुए। इस समय वह फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम घोषित है। पुलिस उनके घर की कुर्की भी कर चुकी है।
ऐतिहासिक धरोहर है किला
जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह कहते हैं कि किला रामपुर की ऐतिहासिक धरोहर है। इसी में रजा लाइब्रेरेरी है। हमने इसे संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग को भी लिखा है। ऐसा होने से रामपुर में पर्यटक भी खूब आने लगेंगे।