कानून के खौफ से बदला तीन तलाक देने का तरीका, अब शरई कानून अपनाने लगे मुसलमान, जानें- क्या है तरीका

Way of giving triple talaq changed due to fear of law रामपुर के नगलिया आकिल गांव में पत्नी देर से सोकर उठी तो पति ने तलाक दे दिया जबकि दोकपुरी टांडा के युवक ने फोन पर ही तलाक बोल दिया। ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे थे।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 09:16 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 04:16 PM (IST)
कानून के खौफ से बदला तीन तलाक देने का तरीका, अब शरई कानून अपनाने लगे मुसलमान, जानें- क्या है तरीका
मुसलमान अब एक झटके में तलाक, तलाक, तलाक बोलने के बजाय महीनों में तलाक दे रहे हैं।

मुरादाबाद, (मुस्लेमीन)। Way of giving triple talaq changed due to fear of law : रामपुर के नगलिया आकिल गांव में पत्नी देर से सोकर उठी तो पति ने तलाक दे दिया, जबकि दोकपुरी टांडा के युवक ने फोन पर ही तलाक बोल दिया। ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे थे, जिससे मुस्लिम महिलाओं का जीवन बर्बाद हो रहा था। तीन तलाक की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कानून बना दिया। इससे तीन तलाक की मनमानी में कमी आई है। कानून बनने के बाद से तीन तलाक के मामलों में भी कमी आई है। साथ ही तलाक देने का तरीका भी बदल रहा है। मुसलमान अब एक झटके में तलाक, तलाक, तलाक बोलने के बजाय महीनों में तलाक दे रहे हैं। ऐसा करने से कई परिवार टूटने से बच रहे हैं।

रामपुर शहर में शरई अदालत भी है, जहां मुसलमानों के तलाक और जायदाद संबंधी मामले सुलझाए जाते हैं। शरई अदालत में पिछले दिनों तलाक के 20 मामले सामने आए, जिनमें 12 लोगों को काजी और मुफ्ती ने समझाया तो वे मान गए और तलाक नहीं दिया, जबकि आठ लोगों ने तीन महीने में तलाक की प्रकिया पूरी की। शरई अदालत के मुफ्ती मकसूद कहते हैं कि एक झटके में तलाक, तलाक, तलाक बोल देना गुनाहे अजीम है। मुसलमान अब इस बात को समझने लगे हैं और तलाक का शरई तरीका अपना रहे हैं। कानून का भी खौफ है, इसलिए अब मिनटों या घंटों में तलाक देने के बजाय तीन महीने में तलाक की प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। पहले शरई अदालत में हर माह एक झटके में तीन तलाक के दर्जनों मामले आते थे। लेकिन, अब ऐसा कोई मामला नहीं आ रहा है। लोग तीन महीने में ही तलाक दे रहे हैं।

जमीअत उलमा ने चलाई मुहिमः जमीअत उलमा ए हिंद के जिला सदर मौलाना मोहम्मद असलम जावेद कासमी का कहना है कि एक झटके में तलाक देने से परिवार तबाह हो जाता है। लोग गुस्से में आकर गलत कदम उठा लेते हैंं। तीन तलाक को लेकर जमीयत उलमा ए हिंद ने भी मुहिम चलाई । मुसलमानों को जागरूक किया। मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान इमामों ने मुसलमानों को समझाया कि वे तीन तलाक हरगिज न दें। ऐसा करना गुनाह है और कानून के भी खिलाफ है। अगर तलाक देना जरूरी है तो इसका सही तरीका अपनाएं। तीन महीने में तलाक दें। इस सबके चलते तलाक के तरीके में तेजी से बदलाव आया है।

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