कैसे हो नियंत्रण, वार्ड ब्वाय के सहारे कोरोना परीक्षण
गांवों में टीम के नाम पर वार्ड ब्वाय को कोरोना परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि व्यवस्थाएं कितनी दुरुस्त हैं। कुंदरकी ब्लाक में कुल 99 ग्राम पंचायतें हैं जिनकी आबादी चार लाख से अधिक है।
जागरण संवाददाता, मुरादाबाद:
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में गांवों में तेजी से संक्रमित बढ़ रहे हैं। गांवों को लेकर केंद्र, राज्य सरकार गंभीर है। हर दिन गांवों की स्थिति का जायजा लिया जा रहा है। कुंदरकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 30 बेड का एल-वन अस्पताल भी तैयार कराया जा रहा है लेकिन, चिकित्सकों के अभाव की बात सामने आ रही है। सात लाख की आबादी पर चार डॉक्टर, सात फार्मासिस्ट, सात स्टाफ नर्स और 10 वार्ड ब्वाय हैं। गांवों में टीम के नाम पर वार्ड ब्वाय को कोरोना परीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि व्यवस्थाएं कितनी दुरुस्त हैं। कुंदरकी ब्लाक में कुल 99 ग्राम पंचायतें हैं, जिनकी आबादी चार लाख से अधिक है।
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ये हैं डॉक्टर
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजपाल सैनी, महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ पूजा बंसल, डॉ. अमित सक्सेना, डॉ. सौरभ मरीजों का उपचार कर रहे हैं।
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इन गांवों की है जिम्मेदारी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुंदरकी के तहत महलौली, हरियाना, रतनपुर कलां, मैनाठेर, डींगरपुर समेत पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। उपकरण उपलब्ध होने के बाद भी आने वाले मरीजों को जिला मुख्यालय रेफर करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमित गांवों में वार्ड ब्वाय को भेजना पड़ रहा है।
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ओपीडी बंद होने से झोलाछाप की मौज
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद है। इस वजह से गांवों में बीमार होने से झोलाछाप की मौज आ गई है। एक मरीज को भर्ती करने के बाद पांच से 10 हजार रुपये की वसूली की जा रही है। सरकारी तंत्र ने गरीबों को लुटने से बचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं बनाई है।
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संविदा कर्मियों के सहारे कोरोना से मुकाबला
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुंदरकी में संविदा कर्मियों की वजह से स्थिति कंट्रोल की जा रही है। कुंदरकी में 50 से ज्यादा संविदा कर्मी काम कर रहे हैं। कोरोना महामारी की जंग में सभी विभागों के 130 से अधिक कर्मी कार्य कर रहे हैं।
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यह बोले लोग :::
गांव में कोरोना संक्रमित घर प रहने की बजाय खुलेआम घूम रहे हैं। सैनिटाइजर का छिड़काव नहीं कराया जा रहा है। जागरूकता के साथ कोरोना की जांच अधिक होनी चाहिए।
पंकज कुमार, गांव नानपुर।
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निगरानी समिति कागजों में ही खानापूर्ति कर रही है। गांवों में लोगों की निगरानी नहीं हो रही है। कोरोना संक्रमित भी घूमते देखे जा सकते हैं। कर्फ्यू का कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है।
मुहम्मद अरकान, इमरतपुर सिरसी
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संक्रमित व्यक्ति की पहचान नहीं हो पाती। स्वास्थ्य टीम मरीज को गुपचुप मेडिकल किट दे जाती है। ज्यादातर गांव में कोरोना संक्रमित बेफिक्री से बिना मास्क के घूम रहे हैं।
रजी अहमद, इमरतपुर फखरुद्दीन
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ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है। संक्रमित व्यक्ति को मुरादाबाद लेकर भागना पड़ता है। मेडिकल किट देने के नाम पर खानापूर्ति हो रही है। ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता के अभाव की वजह से परेशानी हो रही है।
अफरोज पाशा, चक फाजलपुर
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गांव-देहात में पूरी नजर रखी जा रही है। स्टाफ की भी व्यवस्था की जा रही है। गांवों में लोगों को परेशानी नहीं हो रही है। प्रयास कर रहे हैं कि किसी को दुश्वारी नहीं होने दी जाएगी।
डॉ. एमसी गर्ग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मुरादाबाद।