मुरादाबाद के इस गांव के लाेगाें काे है डाॅक्टर बेटाें पर नाज, बाेले- काेराेना से मेहफूज है हमारा गांव

जिले के 200 से अधिक गांवों में कोरोना पैर पसार चुका है। ऐसे में कुंदरकी विकास खंड का फत्तेहपुर खास गांव ऐसा है जहां अभी तक कोरोना कदम नहीं रख पाया है। इस गांव के डाक्टर बेटों का इसमें सबसे अहम रोल है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 04:28 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 04:28 PM (IST)
मुरादाबाद के इस गांव के लाेगाें काे है डाॅक्टर बेटाें पर नाज, बाेले- काेराेना से मेहफूज है हमारा गांव
मुरादाबाद के गांव के लाेगाें काे है डाॅक्टर बेटाें पर नाज, बाेले- काेराेना से मेहफूज है हमारा गांव

मुरादाबाद, मोहसिन पाशा। जिले के 200 से अधिक गांवों में कोरोना पैर पसार चुका है। ऐसे में कुंदरकी विकास खंड का फत्तेहपुर खास गांव ऐसा है, जहां अभी तक कोरोना कदम नहीं रख पाया है। इस गांव के डाक्टर बेटों का इसमें सबसे अहम रोल है। किसी को भी जरा बुखार आ जाए तो सीधे उन्हीं को फोन मिला देता है। तुरंत उनका फोन उठता है और दवा भी बता देते हैं। डाक्टरों ने वाट्सएप ग्रुप बनाकर भी कोरोना के प्राथमिक लक्षणों की दवा लिखकर डाल रखी है। मस्जिद के इमाम और बुजुर्ग भी गांव के लोगों को कोरोना से बचाव के लिए जागरूक कर रहे हैं। इसलिए पूरा गांव अभी तक कोरोना से महफूज है।

जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर सम्भल रोड स्थित ग्राम पंचायत फत्तेपुर खास की आबादी करीब छह हजार है। इस गांव में 20 से ज्यादा डाक्टर हैं। किसान जहीर हुसैन के बड़े बेटे डा़. इमरान हुसैन किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ से एमबीबीएस करने के बाद मानसिक रोग विशेषज्ञ बन गए। लेकिन, शहर में बस जाने के बाद भी उनका लगाव गांव से अभी भी कम नहीं है। इमरान के छोटे भाई डॉ. आमिर हुसैन ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी एमबीबीएस और एमएस किया। वह एम्स भुवनेश्वर (उड़ीसा) में न्यूरोसर्जन की पढ़ाई कर रहे हैं।

इसी तरह हाजी यूसुफ के बड़े बेटे मतीन अहमद मेरठ मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने के बाद कोलकाता के रविंद्रनाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज से हड्डी रोग विशेषज्ञ की पढ़ाई कर रहे हैं। मतीन के छोटे भाई मोईन अहमद ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमएस किया। इन दिनों वह ग्वालियर(मध्यप्रदेश) से न्यूरोसर्जन की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा एमबीबीएस और बीयूएमएस और भी कई डाक्टर हैं।

गांव के जलील अमहद की पौत्री अरीशा तुर्क ने इसी साल एमबीबीएस में दाखिला लिया है। वह गांव की पहली एमबीबीएस बेटी होगी। कोरोना महामारी से लड़ने में डाक्टर बेटों की यह टीम हर घर के काम आ रही है। इंटरनेट मीडिया के जरिए डाक्टर बुखार, खांसी और जुकाम होने पर तुरंत दवा लिखकर वाटसएप पर भेज देते हैं।इस पर घर बैठे ही इलाज शुरू हो जाता है। लोगों को जागरूक करने का काम भी कर रहे हैं। इसकी वजह से कोरोना गांव में कदम नहीं रख पा रहा है।

कोरोना से बचाव के लिए नमाज के बाद जागरूक किया जा रहा है। शुक्रवार को ईद के दिन सभी से घरों में नमाज अदा करने की अपील की गई है। यहां के लोग बहुत समझदार हैं। यही वजह है पूरा गांव कोरोना से महफूज है। मौलाना मकबूल हसन, इमाम, बड़ी मस्जिद

कोरोना के प्रति गांव के लोगों की जागरूकता ही महामारी से बचाए हुए हैं। पंचायत चुनाव के दौरान भी हमारे यहां शारीरिक दूरी बनाकर बैठने के लिए बार-बार टोका जाता रहा। गांव की युवा टीम ने इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया। फुरकान अहमद

हमारे गांव के युवा बहुत समझदार हैं। मेरी उम्र करीब अस्सी साल हो चुकी है। मुझे आगाह करते रहते हैं। गांव के अन्य बुजुर्गों को कोरोना से बचाव के तरीके बताते रहते हैं। यही वजह गांव को कोरोना से बचाए हुए है। मुहम्मद अनीक

कोरोना से बचाव में हमारे गांव के डाक्टरों की टीम का सबसे अहम रोल है। वह कोरोना से मरीजों का इलाज करने के साथ गांव से फोन जाते ही उठा लेते हैं। बीमारी बताने पर तुरंत उसकी दवा बताने का काम भी कर रहे हैं। शाकिर हुसैन

मैं खुद कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रहा हूं। लेकिन, गांव का हर व्यक्ति के स्वास्थ्य की चिंता है। गांव के युवाओं ने वाट्सएप ग्रुप बना रखे हैं। उसी के जरिए लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक करता हूं। इलाज भी इंटरनेट के जरिए ही बता देता हूं। डा. मुहम्मद आमिर, एमएस 

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