देश भर में हरियाली फैला रहा मुरादाबाद मंडल का ये गांव, तैयार कर रहा अधिक आक्सीजन देने वाले पाैधे

गजरौला के हसनपुर कस्बे में स्थित सिहाली जागीर के नर्सरी कारोबारी देश भर में हरियाली फैला रहे हैं। अस्सी के दशक में यहां के चंद किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर नर्सरी का कारोबार शुरू किया था। 40 वर्ष में यह गांव देश भर में चर्चित हो गया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 01:30 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 01:30 PM (IST)
देश भर में हरियाली फैला रहा मुरादाबाद मंडल का ये गांव, तैयार कर रहा अधिक आक्सीजन देने वाले पाैधे
देश भर में हरियाली फैला रहा मुरादाबाद मंडल का ये गांव, तैयार कर रहा अधिक आक्सीजन देने वाले पाैधे

मुरादाबाद, जेएनएन। गजरौला- हसनपुर कस्बे के मध्य स्थित सिहाली जागीर के नर्सरी कारोबारी देश भर में हरियाली फैला रहे हैं। अस्सी के दशक में यहां के चंद किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर नर्सरी का कारोबार शुरू किया था। 40 वर्ष में यह गांव नर्सरी के लिए देश भर में चर्चित हो गया। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी महसूस होने पर लोगों को अहसास हुआ कि पेड़ पौधों हमसे बिना कुछ लिए आक्सीजन देकर हमारी सांसों को मजबूत करते हैं।

यूं तो सभी प्रजातियों के पेड़ पौधे प्रदूषण से हमारी हिफाजत करते हैं लेकिन, महामारी के दौर में अधिक आक्सीजन देने वाले पीपल, बरगद, नीम, सहजन तथा स्नेक प्लांट में संसेवियरिया के पौधों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। लोगों की मांग को पूरा करने के लिए नर्सरी कारोबारी पीपल, बरगद, नीम समेत अधिक आक्सीजन वाले पौधे तैयार करने में तरजीह दे रहे हैं। नर्सरी कारोबारी फरीमुल्ला खां ने बताया कि कोरोना काल में अधिक आक्सीजन वाले पौधों की मांग तेजी से बढ़ी है।

इन प्रजातियों के तैयार हाे रहे पाैधे 

सिहाली जागीर तथा आसपास के गांवों के नर्सरी कारोबारी अपने यहां पीपल, बरगद, नीम, जामुन, पिलखन, शीशम, अर्जुन, कदम, अल्स्टोनिया, कैजोरिना, सहजन, अमरूद, आम, पपीता आदि फलदार व छायादार पौधों की नर्सरी तैयार करके दूसरे राज्यों को सप्लाई करते हैं। यहां पर मकानों के अंदर व बाहर गमलों में रहने वाले पौधों की नर्सरी भी तैयार करते हैं।

इन गांवों में हो रहा नर्सरी का कारोबार

सिहाली जागीर से चलकर नर्सरी का कारोबार मनौटा, दीपपुर, वसी सहसोली, मछरई, आगापुर उर्फ याकूबपुर, उधनपुर, सैमली, सैमला, आलमपुर, रामपुर भूड़, हसनपुर, सौहत आदि गांवों में फैल चुका है।

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