नवाब खानदान के लक्खी बाग में कभी होते थे एक लाख पेड़, अब बचे केवल 3500
नवाब खानदान की अरबों की इमारतें अब कुछ करोड़ की ही रह गईं हैं। इसी तरह एक लाख पेड़ वाले लक्खी बाग में आमअमरूदजामुन अंजीर खजूर आदि के 3500 फलदार ही पेड़ हैं और इनसे सालाना आमदनी 3241837 है।
रामपुर (मुस्लेमीन)। आजादी से पहले लंबे समय तक रामपुर में नवाबों का राज रहा। इस दौरान उन्होंने आलीशान महल बनाए तो उनके चारों ओर बड़े-बड़े बाग लगवाए। रामपुर में खासबाग तो शाहबाद में लक्खी बाग लगवाया। इस बाग में एक लाख पेड़ लगे, इसीलिए इसका नाम लक्खी बाग रखा गया। लेकिन, अब यह लक्खी बाग नहीं, बल्कि हजारी बाग बन गया है। दरअसल इसके ज्यादतर पेड़ सूख गए हैं या काट लिए गए हैं। अब सात हजार पेड़़ भी नहीं बचे हैं। इनमें फलदार पेड़ सिर्फ 3500 ही हैं।
रामपुर में नवाब खानदान के पास कई हजार करोड़ की संपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अब इस संपत्ति के बंटवारे की प्रक्रिया चल रही है। एडवोकेट कमिश्नर संपत्ति का सर्वे और मूल्यांकन कर जिला जज की अदालत में रिपोर्ट पेश कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में नवाब खानदान की संपत्ति की हकीकत सामने आ रही है। नवाबी दौर में रामपुर की शान रहीं आलीशान कोठियां बदहाल हो चुकी है और अब इनकी कीमत जर्जर भवन के रूप में आंकी जा रही है। बागों में पेड़ों की संख्या भी बहुत कम रह गई है। शाहबाद के लक्खी बाग में एक लाख पेड़ लगे थे। लेकिन, अब अब सात हजार पेड़ भी नहीं बचे हैं। इसमें 3351 पेड़ इमारती लकड़ी के हैं, जिनकी कीमत 7398010 है। एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना बताते हैं कि इमारतों का मूल्यांकन लोक निर्माण विभाग ने किया तो पेड़ों का मूल्यांकन वन विभाग से कराया गया है। इमारती लकड़ी के पेड़ों की गिनती भी वन विभाग ने की है, जबकि फलदार वृक्षों की गिनती उद्यान विभाग से कराई गई है।। बागों में अब पेड़ बहुत कम संख्या में बचे हैं।