जनप्रतिनिधियों ने अभी नहीं ली कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की सुध, 35 बच्चे हुए हैं बेसहारा
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से बेशक इन्हें मदद पहुंचाई जा रही हो लेकिन जिले के और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इन बच्चों की कोई सुध नहीं ली गई है। इस पर सामाजिक संगठन भी अग्रणी नहीं नजर आ रहे हैं।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के कहर के चलते सम्भल में इस बार 14 लोगों की मौत हुई थी। जिसके चलते कुल 35 बच्चे अनाथ हो गए। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत सरकार की ओर से बेशक इन्हें मदद पहुंचाई जा रही हो लेकिन जिले के और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा इन बच्चों की कोई सुध नहीं ली गई है। लिहाजा बच्चे किस हाल में हैं और किसके संरक्षण में जीवन यापन कर रहे हैं। इस पर सामाजिक संगठन भी अग्रणी नहीं नजर नहीं आए हैं। हालांकि दावा किया जाता है वे इस मामले में पूरी गंभीरता बरत रहे हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
वैश्विक महामारी बने कोरोना की दूसरी लहर इस बार इस कदर आफत बनकर टूटी थी कि कई घरों की खुशियां मातम में बदल गई थी। जिले में कुल 14 लोगों की मौत कोरोना वायरस की लहर के चलते हुई थी। इससे 35 बच्चे अनाथ हो गए। समाज की विडंबना यह है कि अनाथ हुए बच्चों के घर किसी भी सामाजिक संगठन की ओर से ना तो मदद पहुंचाई गई और न ही जिले के जनप्रतिनिधियों में सांसद, विधायक के द्वारा इनकी कोई सुध नहीं ली गई और अनाथ बच्चे अपने हालातों का शिकार रहे। वे किस हाल में हैं, यह जानने की कोशिश तक नहीं की गई। महिला व बाल विकास विभाग ने इस संबंध में सर्वे करते हुए सूची मांगी थी। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के अंतर्गत जिले में अब तक 21 बच्चों का सत्यापन हुआ, जिसमें से सम्भल तहसील में 15 और चन्दौसी में छह बच्चे शामिल थे जिन्हें आर्थिक मदद की स्वीकृति पत्र प्रदान कर दिए गए।
अभी तक मेरे संज्ञान में ऐसा कोई भी बच्चा नहीं आया है। यदि प्रशासनिक स्तर पर किसी बच्चे के शिक्षा सहित अन्य पर किसी भी तरह की मदद की जरूरत हाेगी तो निश्चित तौर पर की जाएगी।
गुलाब देवी राज्य मंत्री