भलाई की ताकत इंसान को बना देती है फरिश्ता
मुरादाबाद जासंऔरों के होठों को सदा वह मुस्कान दिया करता । बदले में हीरे मोती नहीं
मुरादाबाद, जासं:
औरों के होठों को सदा वह मुस्कान दिया करता ।
बदले में हीरे मोती नहीं, केवल जो थैंक्स लिया करता ।।
खुद सहता है कष्ट यहां पर, काटों पर चला करता है ।
जीना उसी का जीना है, जो औरों का भला करता है।।
भलाई का अर्थ है, दूसरों की सहायता करना या दूसरों का अच्छा करना। भलाई में इतनी ताकत है कि, यह इंसान को फरिश्ता बना देती है। इसकी ताकत से शत्रु भी मित्र बन जाता है। भलाई के समान कोई धर्म नही है, भलाई करने वाला व्यक्ति जो निस्वार्थ किसी की मदद करता है, वह उत्तम पुरुष तथा संत की श्रेणी में आता है। इस संसार में कई तरह के लोग हैं, किसी के लिए जग सपना है तो किसी के लिये जग अपना है। कोई अपनी भूख शांत करने के लिये अबोध शिशुओं को अपंग बनाकर उन्हें भिक्षावृत्ति मे धकेलता है और उनसे भीख मंगवाता है, वहीं भलाई करने बाला व्यक्ति भूख से बिलबिलाते हुए गरीब बच्चों को दो रोटी देकर उसकी मुस्कान देखकर खुश हो जाता है।
समाज में अनेक ऐसे त्यागी सन्यासी और महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने मानव की भलाई के लिये अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है, कर्म करते रहो फल की इच्छा मत करो। प्राचीन काल में भी हम देखते हैं कि, महर्षि दधिचि ने देवताओं की भलाई के लिये, अपनी अस्थियां भी दान कर दीं। दानवीर कर्ण, भगवान बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु नानक ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज की भलाई के लिये कुरीतियों को दूर करने के लिये अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया और इस समाज को एक नई दिशा दी। बच्चों को शुरू से ही इन महापुरुषों के जीवन से संबंधित कहानियां बताई जाएं तो उनमें भी समाज की भलाई के प्रति भावना जागृत होगी। समाज में दूसरों का भला करने वाला व्यक्ति आदर का पात्र हो जाता है। समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो भौतिक सुख सुविधाओं के लिए रात दिन एक कर रहे हैं तथा खूब पैसा कमाने के बावजूद दु:खी तथा अशांत हैं। बहुत ही कम लोग सोचते हैं कि जिस समाज से यह धन कमाया है उसकी भलाई के लिये भी कुछ करना चाहिये।
बेसहारा और मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करना पुण्य का काम है। नेकी और भलाई के कार्यों में हर आदमी को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। जिस देश या समाज में जितने अधिक शिक्षित लोग भले होंगे, वह समाज या देश उतना ही सुखी एवं समृद्ध होगा। पांव मे यदि जान है, तो मंजिल तुम से दूर नहीं।
आंखों मे यदि पहचान हो तो इंसान तुमसे दूर नहीं।।
दिल में यदि स्थान हो तो अपनों से तुम दूर नहीं।
भलाई का अगर ध्यान हो, तो भगवान तुमसे दूर नहीं।।
-मेजर सुदेश कुमार भटनागर, प्रधानाचार्य, डीएसएम इंटर कॉलेज।