कोरोना की मार से नहीं बच सके मुरादाबाद अश्वशाला के घोड़े, निकासी बंद होने से हुनर खोने का भी था डर
उत्तर प्रदेश पुलिस के घोड़ों के पांव एक वर्ष के लंबे इंतजार बाद रफ्तार संग कदमताल करने लगे हैं। पांव में जकड़ी कोरोना की बेड़ी तोड़ कर हार्स राइडिंग मैदान में घोड़े उतरने लगे हैं। इससे पीपीएस अफसरों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है।
मुरादाबाद, जेएनएन। उत्तर प्रदेश पुलिस के घोड़ों के पांव एक वर्ष के लंबे इंतजार बाद रफ्तार संग कदमताल करने लगे हैं। पांव में जकड़ी कोरोना की बेड़ी तोड़ कर हार्स राइडिंग मैदान में घोड़े उतरने लगे हैं। इससे पीपीएस अफसरों का प्रशिक्षण जहां शुरू हो गया है, वहीं घोड़ों को भी अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला है। डॉ्क्टर भीमराव आंबेडकर पुलिस अकादमी की अश्वशाला भी कोरोना की मार से बच नहीं सकी। मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण के मद्देनजर शासन ने अस्तबल से घोड़ों की निकासी पर रोक लगा दी थी। उत्तर प्रदेश पुलिस की सबसे बड़ी अश्वशाला में घोड़े एक तरह से कैद कर दिए गए। पुलिस अकादमी में फिलहाल देशी व विदेशी नस्ल के 36 घोड़े हैं। हार्स राइडिंग ग्राउंड तक घोड़ों के न पहुंचने का सबसे बड़ा खामियाजा उन पुलिस अफसरों को उठाना पड़ा, जो मुरादाबाद में पुलिस अकादमी समेत विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों पर पीपीएस व दारोगा की ट्रेनिंग ले रहे थे। कोराना की मार का असर घोड़ों पर भी पड़ा। पुलिस के बेड़े में शामिल लगभग सभी घोड़े प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की घुड़सवारी प्रतियोगिता में शामिल होते रहे हैं। ऐसे में संकट यह खड़ा हो गया कि राइडिंग ग्राउंड से दूरी के कारण घोड़े कहीं अपना हुनर न खो बैठें। क्योंकि कोरोना संक्रमण काल में घोड़ों का अभ्यास भी बाधित रहा। घोड़ों व अस्तबल को कोरोना से दूर रखने की कवायद पूरे एक साल तक होती रही।
टीकाकरण के बाद मिली घोड़ों को राहत
कोरोना का टीकाकरण शुरू होते ही पुलिस अकादमी के घोड़ों को राहत मिलने लगी है। पुलिस अकादमी आरआइ एमपी प्रेमबाबू कहते हैं कि अस्तबल में तैनात सभी कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है। इसके बाद ही उन्हें घोड़ों को अस्तबल से ले जाने की अनुमति दी गई है। घोड़ों की मदद से पीपीएस अफसरों का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। घोड़े अब हार्स राइडिंग ग्राउंड पर जाने लगे हैं।